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    तीन माह से ज्यादा नहीं करें गैस की अनदेखी

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    Updated: Thu, 12 Jul 2012 10:58 PM (IST)

    कार्यालय प्रतिनिधि, पटना : गैस, एक सामान्य बीमारी है लेकिन यदि दवा लेने के बावजूद यह तीन माह में ठीक न हो तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि, लीवर की कई गंभीर समस्याओं तथा कैंसर आदि के शुरुआती लक्षण गैस्ट्रिक की समस्याओं से काफी मिलते-जुलते होते हैं। यदि गैस के रोगियों को काला पाखाना हो, वजन में कमी आए, उल्टी, बुखार तथा असामान्य तीव्र पेट दर्द हो तो तत्काल किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श करें। गैस रोगियों के लिए ये गंभीर लक्षण हैं। उक्त बातें गुरुवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम जागरण प्रश्न प्रहर में राजधानी के प्रख्यात गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट डा. मनोज कुमार ने कहीं।

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    नौनिहालों को रुला रहा आइबीएस : पेट रोग के विशेषज्ञ डा. मनोज ने बताया कि अनियमित दिनचर्या, समय से खाना न खाना, पौष्टिक खाना न खाना, रात में देर तक जगने की आदत और तनाव के कारण आज इरेटेबिल बाउल सिंड्रोम (आइबीएस) बचपन से ही शिकंजा कसने लगा है। इसमें पेट में गड़बड़ी, गुड़गुड़ाहट, दर्द, पेट साफ न होना, म्यूकस आना जैसी समस्याएं होती हैं। इसमें भूख तो सामान्य रहती है पर मरीज परेशान रहता है। डा. मनोज ने बताया कि एक बार गैस की समस्या होने पर ठीक होना मुश्किल है लेकिन कुछ सावधानी बरत कर समस्याओं से बचा जा सकता है।

    हेपेटाइटिस बी हमेशा घातक नहीं : डा. मनोज ने बताया कि हेपेटाइटिस बी हमेशा जानलेवा नहीं होता है। कम दिनों का हेपेटाइटिस बी 90 प्रतिशत मामलों में ठीक हो जाता है। लेकिन छह माह से ज्यादा पुराना होने पर मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इसलिए हेपेटाइटिस बी होते ही बहुत ज्यादा न घबराएं, जांच करा कर देखें यदि यह छह माह से ज्यादा पुराना नहीं है तो इलाज आसान है।

    बारिश में बरतें खास सावधानी : बारिश के मौसम में होने वाले तापांतर का दुष्प्रभाव सीधा पेट पर पड़ता है। इस मौसम में डायरिया, उल्टी, पेचिस यानी म्यूकस युक्त पाखाना के साथ ब्लड, पीलिया, अपच आदि तमाम रोग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। ताजा खाना, शुद्ध पानी, अच्छी तरह से हाथ-पांव मुंह धोकर ही खाना खाने, बाहर के पदार्थ जैसे समोसा-चाट आदि का प्रयोग न करके इन समस्याओं से बचा जा सकता है।

    - कब्ज रहता है, प्यास कम लगती है।

    रतन कुमार यादव, पटना

    रोज कम से कम पांच किलोमीटर टहलें। रात को इसबगोल भूसी दो चम्मच लें, देर रात तक न जागें, चावल कम और रोटी तथा भूजा जैसे फाइबर युक्त भूजा आदि ज्यादा खाएं।

    - लिट्टी खाने पर डकार ज्यादा आती है और शौच साफ नहीं होता है।

    राजमोहन, पटना

    खाना समय पर खाएं, थोड़ा-थोड़ा कई बार में खाएं। खाना खाकर दो घंटे तक सोएं नहीं, ज्यादा तैलीय या मसाले वाला भोजन न करें। चाय-काफी कम लें और खाली पेट कतई न रहें।

    - कुछ खाते ही गैस हो जाती है, छाती के नीचे दर्द तथा खाने के बाद उल्टी महसूस होती है।

    संजय कुमार, पटना

    खाली पेट कंट्रेपाजाल 40 एमजी तथा पैन-40 रोज खाली पेट लें। यह समस्या जड़ से ठीक नहीं होगी पर नियंत्रण में रहेगी।

    - जम्हाई और डकार बहुत आती है। जम्हाई के साथ ही डकार आ जाती है।

    अशोक कुमार, शास्त्रीनगर

    यरीन कल्चर, यूरिक एसिड व शुगर की जांच करा कर किसी गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट से मिलें। तब तक खाली पेट पैन-40 दवा ले सकते हैं।

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    इन्होंने भी किया फोन : प्रियदर्शी पटना, राजकुमार बिक्रम, राजीव दूबे पटना, दयाणशरण कुर्जी, विनीत पटना, विजय कुल्हाड़ी पटना, जितेंद्र कुमार पटना, भोला सिंह दानापुर, कुलवंत सिंह सलूजा पटना, रश्मि पटना, अक्षय कुमार पटना, सावित्री पटना, दिलीप बाढ़, सरजू प्रसाद पटना, प्रियंका मिश्रा पटना, गीताप्रसाद नालंदा।

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    रखें ध्यान, ठीक रहेगा पेट :

    - वजन पर कंट्रोल करने के लिए खानपान पर ध्यान दें।

    - दिनभर में तीन बार खाने के बजाय छह बार थोड़ा- थोड़ा खाएं।

    - एक बार में बहुत पानी भी न पिएं।

    - खाना खाने के बाद तुरंत बिस्तर पर न जाएं, बेहतर है थोड़ा टहल लें।

    - खाने में हरी सब्जियों व अन्य फाइबर युक्त चीजों की मात्रा बढ़ाएं।

    - तले-भुने खाने से जितना हो सके परहेज करें।

    - रोजाना आपके खाने में 35 प्रतिशत हाई फाइबर होलग्रेन ब्रेड, दालें, बिना पालिश के चावल होना जरूरी है। इसके बाद 40 प्रतिशत मात्रा ताजे फल व सब्जी रखें। 15 प्रतिशत मात्रा अंडे, तेल और मास की होनी चाहिए। नानवेज हमेशा ताजा ही लें। आखिरी 10 प्रतिशत में दुग्ध उत्पाद जैसे दही-छाछ होना चाहिए।

    - खाने में नियमित रूप से अदरक, लहसुन, प्याज, काली मिर्च, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी व सौंफ का उपयोग करें।

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