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    'घासीराम कोतवाल' में भ्रष्ट व कुटिल लोगों की सच्चाई

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    Updated: Fri, 06 Jan 2012 11:43 PM (IST)

    पटना, निज संवाददाता: कालिदास रंगालय में प्रवीण सांस्कृतिक मंच की ओर से शुक्रवार को मंचित नाटक घासीराम कोतवाल में कलाकारों ने बड़ी खूबसूरती से सत्ता के घिनौने सत्य को उजागर किया। विज्येन्द्र टांक निर्देशित नाटक में सत्ता के शीर्ष पर बैठे कुटिल व भ्रष्ट लोगों की सच्चाई सामने आयी। घासीराम कोतवाल सुप्रसिद्ध नाटककार विजय तेंदुलकर की अमत कृति है। कथाक्रम इस प्रकार है- घासीराम कन्नौज का एक सीधा सादा ब्राहमण है नाना फड़नवीस के राज्य में रोजगार करने पूना आता है। पर पूना के लोग घासीराम का अपमान करते हैं। उसे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दी जाती है। इसके बाद घासीराम प्रतिज्ञा करता है कि वह पूना शहर की जनता को दंडित करेगा। घासीराम एक कुटिल योजना बनाता है और अपनी बेटी के यौवन के बदले कामलोलुभ नाना साहब से पूना की कोतवाली हासिल कर लेता है। घासीराम अन्यायी तरीके से अपना प्रतिशोध लेता है। प्रजा पर शोषण और दमन का एक कुत्सित दौर प्रारंभ होता है। जनता त्राहिमाम करने लगती है। इधर घासीराम की बेटी गायब हो जाती है और नानासाहब दूसरा विवाह कर लेता है। पूना में तीर्थाटन करने आये कुछ लोग घासीराम के दंड विधान में फंसकर अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। मौके की नजाकत को देखते हुए नानासाहब खुद को अच्छे शासक के रूप में प्रस्तुत करता है और घासीराम को मृत्युदंड का आदेश देता है। घासीराम बने रौशन कुमार व नाना बने समीर कुमार समेत अन्य कलाकारों को दर्शकों की सराहना मिली।

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