Bihar Voter List 2025: बिहार में 35 लाख मतदाता लापता, EC की रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में लगभग 35 लाख मतदाता लापता पाए गए हैं जिससे मतदाता सूची पर सवाल उठ रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग राष्ट्रव्यापी एसआईआर करने की तैयारी कर रहा है। राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची में अपात्र व्यक्तियों के नाम शामिल होने पर चिंता जताई है।

एजेंसी, नई दिल्ली/पटना। बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान से पता चला है कि लगभग 35 लाख मतदाता या तो लापता हैं या अपने पंजीकृत पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं।
इन निष्कर्षों ने मतदाता सूची की अखंडता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं, क्योंकि भारत का चुनाव आयोग मतदाता सूची का राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण करने की तैयारी कर रहा है।
बिहार में लापता मतदाताओं की बड़ी संख्या ने इस बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं कि राष्ट्रीय एसआईआर भारत के चुनावी परिदृश्य में क्या उजागर कर सकता है।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची की शुद्धता, विशेष रूप से हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के नाम जोड़ने को लेकर बार-बार सवाल उठाए हैं।
बड़ी संख्या में मतदाता पाए गए लापता
बिहार में एसआईआर अभियान के दौरान बड़ी संख्या में मतदाता लापता पाए गए हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने भी वोटर लिस्ट रिवीजन पर सवाल उठाए हैं, और मतदाता सूची में अपात्र व्यक्तियों के शामिल होने को लेकर चिंता जताई है।
2017 तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अनुमानित 2.04 करोड़ बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं, जिससे मतदाता सूची की सटीकता को लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं।
1 जनवरी, 2024 तक, भारत में आम चुनावों के लिए 96.88 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जिससे राष्ट्रीय पुनरीक्षण अभियान के संभावित निहितार्थ महत्वपूर्ण हो गए हैं।
भारत के चुनाव आयोग ने 24 जून के एक आदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को पूरे देश में लागू करने के अपने निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि आयोग ने मतदाता सूची की अखंडता की रक्षा के अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन हेतु अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है।
देश के अन्य हिस्सों में भी होगा एसआईआर
देश के बाकी हिस्सों में कब एसआईआर होगा, इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। वर्तमान एसआईआर ढांचे के तहत, मतदाताओं और राजनीतिक दलों को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को किसी भी पात्र मतदाता के लिए निर्धारित प्रपत्र जमा करने होंगे, जो मतदाता सूची से बाहर रह गए हैं, या आपत्तियां दर्ज करानी होंगी।
अवैध प्रवास का मुद्दा मतदाता सूची प्रबंधन को और जटिल बना देता है। गृह मंत्रालय ने 2016 में अनुमान लगाया था कि लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी प्रवासी भारत में रह रहे हैं, जबकि 40,000 से अधिक रोहिंग्या प्रवासी मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों में रहते हैं।
मंत्रालय ने स्वीकार किया कि वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना अवैध प्रवेश के कारण उनकी उपस्थिति का सटीक डेटा बनाए रखना एक चुनौती बना हुआ है।
हालांकि, अवैध प्रवासियों का पता लगाना और उन्हें निर्वासित करना एक सतत प्रक्रिया बताई जाती है, लेकिन इस चुनौती का दायरा और चुनावी अखंडता पर इसका संभावित प्रभाव राष्ट्रीय चिंता का विषय बना हुआ है।
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