पटना में हर दिन गायब हो रहे 16 वाहन, प्रतिदिन 3 घरों में घुस रहे चोर; चौंका देगा 5 महीने का आंकड़ा
पटना पुलिस वाहन चोरी और गृहभेदन की वारदातें रोकने व उनका उद्भेदन करने में फिसड्डी साबित हो रही है। प्रतिदिन 16 वाहन चोरी और तीन गृहभेदन की वारदातों पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए चुनौती है। पटना में 5 महीने में 2335 गाड़ियां गायब हुई हैं। 343 मकानों को चोरों ने निशाना बनाया है।
जागरण संवाददाता, पटना। हत्या, लूट, डकैती जैसे जटिल कांडों का उद्भेदन कर पीठ थपथपाने वाली पटना पुलिस वाहन चोरी और गृहभेदन की वारदातें रोकने व उनका उद्भेदन करने में फिसड्डी साबित हो रही है। नए कप्तान कार्तिकेय शर्मा के लिए भी जिले से प्रतिदिन 16 वाहन चोरी और तीन गृहभेदन की वारदातों पर अंकुश लगाना चुनौती होगी।
पटना पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो एक जनवरी से 31 मई तक 2,335 वाहनों की चोरी हुई। वहीं, 343 मकानों को चोरों ने निशाना बनाया है। उक्त अवधि में वाहन चोरी के मात्र 179 मामलों में पुलिस ने चार्जशीट और फाइनल रिपोर्ट सौंपी है। इनमें से अधिसंख्य मामले वर्ष 2024 में सितंबर बाद से फरवरी 2025 तक के हैं।
नहीं चिह्नित हो सके हाट-स्पाट
निवर्तमान एसएसपी अवकाश कुमार ने सभी थानों से उनके क्षेत्र में वाहन चोरी को लेकर हाट-स्पाट चिह्नित करने को कहा था। उन स्थानों को हाट-स्पाट की सूची में शामिल करना था, जहां से अक्सर वाहन चोरी हो जाते हैं। हाट-स्पाट में स्थान के नाम के साथ यह भी बताना था कि उस जगह पर कितने समय में चोरियां होती हैं।
कुछ थानों ने सूची भी दी थी, जिसके तहत सिविल कोर्ट का बाहरी परिसर, गोविंद मित्रा रोड, राजेंद्र नगर रोड नंबर 10 से 12, पूर्वी लोहानीपुर, एजी कालोनी पार्क, बुद्धा स्मृति पार्क, महावीर मंदिर के पास, गांधी मैदान आदि स्थानों को शामिल किया गया था। योजना थी कि वहां सादे लिबास में पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी, जो संदिग्ध लोगों पर नजर रखेंगे।
आसपास गश्ती दल और 112 के वाहन की भी तैनाती रहेगी, ताकि आरोपित को रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद थाने तक लाया जा सके। हालांकि, फायरिंग, हत्या और लूट की वारदातों का उद्भेदन करने के चक्कर में पुलिस वाहन चोरी के मामलों को ठंडे बस्ते में डालती चली गई।
गिरफ्तारी हुई पर बरामदगी न के बराबर
गृहभेदन के मामले में पांच महीने में कदमकुआं, एसकेपुरी, शास्त्री नगर, बेउर और पाटलिपुत्र थाने की पुलिस ने कुल 13 कांडों का उद्भेदन किया था, जिसमें 32 आरोपित जेल भेजे गए थे। उन मामलों में सीसीटीवी फुटेज से सफलता मिल सकी। कुछ मामलों में यह भी रहा कि पीड़ित ने स्वयं आरोपित का सुराग निकाला और पुलिस ने उपलब्धि गिनाई। हालांकि, 13 में से केवल चार मामलों में अधिक सामान बरामद हो सका। अधिसंख्य मामलों में प्राथमिकी में अंकित जेवरात और नकदी के कुछ अंश ही पुलिस को मिले।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।