बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या प्रधानमंत्री पद के बनेंगे दावेदार, पूछने पर खुद दिया ये जवाब
Bihar Politics नीतीश कुमार का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में तब भी आ चुका है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और भाजपा ने उन्हें पीएम पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया गया था। बाद के दौर में ऐसी चर्चाएं लंबे अरसे तक बंद रहीं।
पटना, जागरण टीम। Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में आने लगा है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा समेत कई नेताओं ने एक- एक कर पहले ही नीतीश को प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य बता दिया था, अब पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बकायदा इसपर प्रस्ताव पारित कर दिया गया। जदयू में इस तरह की चर्चा को इतनी अधिक तवज्जो दिए जाने को राजनीतिक विश्लेषक अलग- अलग नजरिए से देख रहे हैं, जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे। इधर, खुद को पीएम मैटेरियल बताए जाने के जदयू राष्ट्रीय परिषद के प्रस्ताव पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि मैं तो अपना काम करता रहता हूं। इस तरह की बातों में मेरी दिलचस्पी नहीं है।
गुण और दावेदारी में अंतर : ललन
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा इससे किसी को इनकार है, क्या कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री पद के सभी गुण हैं। गुण और दावेदारी में अंतर होता है। दरअसल, जदयू की ओर से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि यूं तो नीतीश प्रधानमंत्री बनने के लिए पूरी तरह योग्य हैं, लेकिन वे इस पद के लिए दावेदारी नहीं करेंगे। आपको बता दें कि जदयू में इस तरह की चर्चाएं कई हफ्ते से चल रही हैं। ऐसी चर्चाओं के बाद भाजपा के कई नेताओं ने बयान दिया है कि देश में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी ही नहीं है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ही लोकसभा का अगला चुनाव भी जीतेंगे।
जदयू की रणनीति का मतलब क्या
नीतीश कुमार का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में तब भी आ चुका है, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और भाजपा ने उन्हें पीएम पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया गया था। बाद के दौर में ऐसी चर्चाएं लंबे अरसे तक बंद रहीं, लेकिन हाल में पहले उपेंद्र कुशवाहा और बाद में जदयू के कई नेताओं ने ऐसे बयान दिए। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जदयू इस तरह की चर्चाओं के जरिए राष्ट्रीय राजनीति में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती है। उत्तर प्रदेश और मणिपुर में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की तत्परता भी इसी रणनीति का हिस्सा है।