1857 की क्रांति: पीर अली के नेतृत्च में पटना में हुआ था विद्रोह, अंग्रेजों ने कुंवर सिंह पर रखा था 25 हजार का इनाम
स्वतंत्रता दिवस पर बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय ने 1857 के विद्रोह से जुड़े अभिलेखों की प्रदर्शनी लगाई। इसमें पटना शाहाबाद समेत कई क्षेत्रों में विद्रोह को दर्शाया गया है। अभिलेखों में पीर अली खान के नेतृत्व में हुए विद्रोह और बाबू कुंवर सिंह के पराक्रम का वर्णन है। निदेशक ने नई पीढ़ी को इतिहास से जुड़ने के लिए ऐसे आयोजनों को महत्वपूर्ण बताया।

जागरण संवाददाता, पटना। स्वतंत्रता दिवस पर बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की ओर से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े अभिलेखों को प्रदर्शित किया गया है। अभिलेख परिसर में अखिलेखों में 1857 का विद्रोह और बिहार को दर्शाया गया है।
अविभाजित बिहार के पटना, शाहाबाद, तिरहुत, सारण, पलामू आदि क्षेत्रों में विद्रोह के गतिविधियों को दबाने का प्रयास ब्रिटिश सरकार ने किया था। अभिलेखों के अनुसार पीर अली खान के नेतृत्व में तीन जुलाई 1857 को पटना में विद्रोह हुआ था।
इस दौरान पीर अली खान ने सार्वजनिक रूप से सात जुलाई 1857 को अन्य विद्रोहियों घसीटा, गुलाम अब्बास, नंदूलाल उर्फ सिपाही, जुम्मन, मडुवा, काजिल खान, रमजानी, पीर बख्स, गुलाम अली, महमूद अकबर और असरार अली खान के साथ फांसी दे दी गई थी।
22 जून 1857 को नारायण सिंह फकीर, ज्वाला सिंह और रामदास को शाही सैनिकों के विद्रोह के लिए उकसाने को लेकर छह महीने की कारावास की सजा सुनाई गई थी।
कुंवर सिंह से भयभीत थी ब्रिटिश सरकार
बाबू कुंवर सिंह के नेतृत्व में विद्रोहियों की अंग्रेजों के साथ लड़ाई का वर्णन अभिलेख में प्रदर्शित है। गोरखपुर, बलिया और आजमगढ़ में कुंवर सिंह की सेना अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया था। अंग्रेजी सरकार कुंवर सिंह से भयभीत थी।
उनके जगदीशपुर से वापस लौटने के सभी रास्तों पर प्रतिबंध लगा दिया था। कुंवर सिंह को जीवित पकड़ लाने के लिए अंग्रेजी सरकार ने 25 हजार रुपये का इनमा रखा था। इसके बारे में 21 अप्रैल 1858 को कोलकाता गजट में उल्लेख है।
छह सितंबर 1857 को पटना के तत्कालीन कमीश्नर ए. सैमुअल्स के सचिव, बंगाल सरकार के लिखे पत्र में 1857 के विद्रोह के फैलाव की चर्चा है। अभिलेख निदेशक डा. मो. फैसल अब्दुल्लाह ने अभिलेख प्रदर्शनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई पीढ़ी को स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को जानने के लिए ऐसे आयोजन जरूरी है।
अतीत की आधार शीला पर ही सशक्त राष्ट्र और समाज का विकास हो सकता है। उन्होंने शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं को प्रदर्शनी अवलोकन करने की अपील की है। प्रदर्शन के दौरान सहायक अभिलेख निदेशक उदय कुमार ठाकुर, पुराभिलेखापाल डॉ. रश्मि किरण , डा. भारती शर्मा, डा. शारदा शरण, राम कुमार सिंह, पल्लवी आनंद, रामाशीष कुमार, पंकज कुमार आदि का योगदान रहा।
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