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    बिहार में घटा लिंगानुपात, शहरी क्षेत्र में सुधार

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    Updated: Sat, 18 May 2013 01:17 PM (IST)

    पटना : राज्य में लड़कियों की संख्या बढ़ाने के तमाम अभियानों का कोई खास असर होता नहीं दिख रहा। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में। जनगणना निदेशालय के ताजा आंकड़ों में यह बात साफ हुई है कि एक दशक के दौरान बिहार में लिंगानुपात 919 से घट कर 918 हो गया है। देहाती इलाकों में गिरावट खासी तीखी है। वहीं शहरी क्षेत्रों में आंकड़े राहत देने वाले हैं। आंकड़ों के अनुसार पटना जिला सबसे ज्यादा तो शेखपुरा सबसे कम आबादी वाला जिला है। बिहार देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य हो गया है।

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    जनगणना निदेशालय बिहार की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में वर्ष 2001 की जनगणना की तुलना में लिंग अनुपात 926 से घटकर 921 हो गया है। वहीं शहरी इलाकों में बेटे बेटियों के बीच भेदभाव घटा है। शहरी क्षेत्रों में एक दशक के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है। यहां प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियां की संख्या वर्ष 2001 की तुलना में 868 से बढ़कर 895 हो गयी है। प्रखंड स्तर पर गोपालगंज के कटैया प्रखंड में सर्वाधिक लिंगानुपात पाया गया है। यहां प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1092 दर्ज की गयी है। जबकि मुंगेर के बरियापुर प्रखंड और वैशाली जिले के राघोपुर में सबसे कम लिंगानुपात 863 दर्ज किया गया है।

    कुल 5838465 आबादी वाला पटना जिला प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला तथा 636342 आबादी के साथ शेखपुरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। पटना ग्रामीण प्रखंड में सबसे ज्यादा 1771140 और बेगूसराय के अकहा कुरसा में सबसे कम 30777 जनसंख्या दर्ज की गयी है। दशकीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार राज्य में जनसंख्या घनत्व में जबरदस्त बढोतरी हुई है। वर्ष 2001 के 881 की तुलना में ताजा जनगणना में यह 1106 व्यक्ति प्रति किलोमीटर हो गया है। यह देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है।

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