गौरेया बिहार की राजकीय पक्षी, बैल पशु
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जागरण ब्यूरो, पटना : राज्य सरकार ने गौरैया को राजकीय पक्षी, बैल को राजकीय पशु, पीपल को राजकीय वृक्ष व गेंदा को राजकीय फूल घोषित किया है। अब सरकार इन्हें विशेष रूप से संरक्षित करेगी। मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे स्वीकृति दे दी गई।
विभाजन के बाद राज्य के वर्तमान भौगोलिक परिवेश, वनस्पति प्रजातियों तथा प्राणियों की उपलब्धता एवं उनके संरक्षण की जरूरत महसूस की गयी। खेती के यंत्रीकरण के चलते बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है। इससे उनके अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है। सरकार इन्हें संरक्षित व संवर्धित करने की जरूरत महसूस कर रही है। इसी तरह पर्यावरण में आए बदलाव के चलते गौरैया की संख्या में भी जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। लोगों के घरों में रहने वाले इस पक्षी के लिए आधुनिक घरों में जगह नहीं बची है। इस घरेलू पक्षी को संरक्षित करने के लिए इन्हें राजकीय पक्षी बनाने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरण एवं वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पीपल राज्य के सांस्कृतिक पक्ष के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यह राज्य में ज्ञान व परंपरा का द्योतक भी है। गेंदे के फूल की लोकप्रियता ने इसे राजकीय फूल का दर्जा दिलाया है।
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