Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार की पूंजीवादी व्यवस्था के मकड़जाल का शिकार हुआ नवादा का पूरा परिवार, ये आग का दरिया है; डूबकर ही जाना है

    By Jagran NewsEdited By: Akshay Pandey
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 07:16 PM (IST)

    नवादा के केदारलाल निर्मम पूंजीवादी व्यवस्था के शिकार हो गए। परिवार के छह सदस्यों ने एक साथ मौत को गले लगा लिया। उनकी डायरी के मोबाइल के स्क्रीनशाट में मिले पन्ने गवाह हैं कि छह साल के दौरान वह मूलधन के बराबर सूद चुका चुके थे।

    Hero Image
    बिहार में सूदखोरों का आंतक है। सांकेतिक तस्वीर।

    प्रशांत सिंह, नवादा: समाज में पूंजीवादी व्यवस्था का अंधेरा प्रगाढ़ हो गया है, जो मानवीय मूल्य, संवेदनाएं, सद्भाव और आत्मीयता को अलग-अलग कारणों से रौंदते निर्मम भाव से बढ़ता जा रहा है। श्रम से लोगों को हतोत्साहित कर रहा है। नवादा के केदारलाल इसी निर्मम पूंजीवादी व्यवस्था के शिकार हो गए। वह छह साल पहले ठेले पर चाट बेचते थे, पत्नी व चार आश्रित संतानों को बेहतर जीवन देने की आकांक्षा ने उन्हें और अधिक श्रम करने को प्रेरित किया, पूंजी नहीं थी तो सूद पर रकम ले ली, इससे शहर में दो जगह फल दुकान खोली, मेहनत व मुनाफे का हिसाब लगाया था तो लगा कड़े सूद के बावजूद समय पर रकम लौटा देंगे, परंतु वह कर्ज के ऐसे मकड़जाल में फंसे की उससे ऊबर नहीं सके।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सारी कमाई प्रतिमाह सूद चुकाने में ही खत्म होने लगी, मूलधन वैसे का वैसा खड़ा रहा, जिस माह सूद नहीं चुका पाते, अगले माह सूदखोर उस रकम को मूलधन में बदल देते, नतीजतन कर्ज अंधा कुआं बन गया, कितना भी डालो भरता ही नहीं था। उनकी डायरी के मोबाइल के स्क्रीनशाट में मिले पन्ने गवाह हैं कि छह साल के दौरान वह मूलधन के बराबर सूद चुका चुके थे। परंतु किसी नियम-कानून को न मानने वाले सूदखोर उनपर मूलधन से भी ज्यादा 12 लाख रुपये एक बार में लौटाने का लगातार दबाव दे रहे थे, बेटियों को घर से उठा लेने की धमकी दे रहे थे, जिससे केदारलाल टूट गए और परिवार के छह सदस्यों के साथ खुदकुशी कर ली। यह बात पिता, मां, तीन बहनों व एक भाई को मुखाग्नि देने के बाद परिवार के बड़े बेटे अमित गुप्ता और बहन गुंजा ने कही थी। यह घटना समाज के लिए बड़ा सबक है, गैरनिबंधित सूदखोरों से कर्ज लेना आग के दरिया की तरह है, जिसमें आपको डूबकर जाना है। इससे बच गए तो आपकी किस्मत, वर्ना अंजाम बेहद बुरा होता है।    

    सूदखोरों से बचें, बैंक से लें कर्ज : डीएम

    नवादा डीएम उदिता सिंह कहती हैं, ऐसे सूदखोर रजिस्टर्ड नहीं होते हैं, आमजन को इनसे कर्ज लेने से बचना चाहिए, इनका ब्याज दर मनमाना होता है। अत: बैंक से लोन लें, सरकार भी स्वरोजगार के विभिन्न साधनों से लिए अच्छी-खासी सब्सिडी दे रही है। डीएम ने बताया कि किसी को भी सूद का कारोबार करने के लिए अंचल अधिकारी को आवेदन देकर लाइसेंस लेना होता है।

    अंचल कार्यालय से मिलता है सूदखोरी का लाइसेंस

    नवादा सदर अंचल के सीओ रविशंकर राय ने कहा कि उनके अंचल क्षेत्र में कोई भी रजिस्टर्ड सूदखोर नहीं है। उन्होंने बताया कि यदि कोई कानूनी तौर पर सूदखोरी का नियमानुसार व्यवसाय करना चाहते हैं तो इसके लिए वह अंचल कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। सरकार के नियम व मापदंड के अनुसार उस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अंचल स्तर से इसके लिए लाइसेंस दिए जाते हैं। जिसमें सारे प्रविधान के तहत लेन-देन किया जाना है। इसके लिए एक रजिस्टर होता है। जिसमें निबंधित लोगों के नाम-पते दर्ज रहते हैं। समय-समय पर ऐसे लाइसेंसी के कार्यप्रणाली की जांच-पड़ताल भी की जाती है। सरकार की बैंकिंग नियमावली के अनुसार सूद की दर भी निर्धारित होती है।

    महाजनों के शोषण पर नियंत्रण को बना था कानून

    ब्रिटिश शासनकाल में गठित अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में 1937 में सबसे पहले महाजनों के शोषण पर नियंत्रण को कानून पारित किया गया था। इस कानून में व्यवस्था थी कि अगर महाजन से लिए गए उधार की रकम का सूद मूलधन के बराबर हो जाता है तो महाजन को कर्जदार के आग्रह पर सूद में रियायत देनी होगी। इस कानून में सूद का प्रतिशत निर्धारित नहीं था। मूलधन के बराबर सूद की रकम नहीं होने पर यह कानून प्रभावी नहीं था।

    1974 में हुआ कानून में संशोधन, तय हुई सूद की दर

    देश की आजादी के बाद 1974 में इस कानून में संशोधन किया गया। जिसमें प्रविधान किया गया कि महाजनी करने वाले या निजी फाइनेंस कंपनियों को जिलाधिकारी के यहां आवेदन देकर खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा। तभी वे सूदखोरी को व्यवसाय के तौर पर कर सकते हैं। इसमें सूद के प्रतिशत का भी उल्लेख भी करना होगा। बाद में यह अधिकार अंचलाधिकारी को दे दिया गया।

    comedy show banner
    comedy show banner