गंभीर समस्या... बिहार में एक ही विद्यालय में छह प्रकार के शिक्षक, आखिर क्यों?
विद्यायल ही नहीं पूरे बिहार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। बिहार सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्यभर में लगभग बीएससी विद्यालय अध्यापक का वेतन 42000 नियोजित शिक्षक का वेतन 49000 विशिष्ट शिक्षक का वेतन 35000 नियमित शिक्षक का 1 लाख से अधिक तथा अन्य श्रेणी के शिक्षक अलग-अलग रूप में कार्यरत हैं।
संवाद सूत्र,रजौली(नवादा)। विद्यायल ही नहीं पूरे बिहार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। एक ही विद्यालय में छह प्रकार के शिक्षक कार्यरत हैं, जिनकी नियुक्ति, वेतनमान और पदनाम अलग-अलग है। यही कारण है कि शिक्षक समाज में असमानता और भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
बिहार सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्यभर में लगभग बीएससी विद्यालय अध्यापक का वेतन 42,000, नियोजित शिक्षक का वेतन 49,000, विशिष्ट शिक्षक का वेतन 35,000, नियमित शिक्षक का 1 लाख से अधिक, तथा अन्य श्रेणी के शिक्षक अलग-अलग रूप में कार्यरत हैं। इन सभी की सेवा शर्तें व जिम्मेदारियां समान होते हुए भी वेतनमान और पद की स्थिति अलग-अलग है। यही कारण है कि शिक्षक वर्ग के बीच असंतोष और भेदभाव की भावना लगातार गहराती जा रही है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब बच्चों को पढ़ाने का कार्य सबका समान है, तो फिर वेतनमान और सुविधाओं में भिन्नता क्यों? एक ही विद्यालय में छह तरह के शिक्षक मौजूद रहना न केवल शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करता है बल्कि शिक्षकों की एकजुटता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
शिक्षा विभाग का तर्क है कि समय-समय पर सरकारों ने नीतियों और परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग प्रकार की नियुक्तियां कीं। इसका परिणाम यह हुआ कि आज एक ही विद्यालय में छह श्रेणियों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिए सभी शिक्षकों को समान वेतनमान और पदनाम की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे शिक्षक वर्ग एकजुट होकर शिक्षा सुधार की दिशा में योगदान दे सके। बिहार में शिक्षा सुधार की असली शुरुआत तभी होगी, जब एक विद्यालय-एक शिक्षक श्रेणी की नीति लागू की जाएगी।
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