रजौली अनुमंडल अस्पताल में अब मरीजों को पाइप लाइन सेऑक्सीजन
अब मरीजों को ऑक्सीजन के लिए यहां-वहां भटकने की नहीं आएगी नौबत -------------------- 83 ब
अब मरीजों को ऑक्सीजन के लिए यहां-वहां भटकने की नहीं आएगी नौबत
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83 बेडों के पास पाइप लाइन के जरिए मरीजों को मिलेगी ऑक्सीजन संवाद सूत्र, रजौली : अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में अब मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति गैस सिलेंडर से नहीं, बल्कि पाइपलाइन से होगी। वार्ड में ऑक्सीजन पाइपलाइन लगाने का काम चल रहा है। इसके लिए अस्पताल के एक वार्ड में ऑक्सीजन गैस का प्लांट बनाया जाएगा। इस प्लांट में बाहर से वाहनों से ऑक्सीजन गैस लाकर भरा जाएगा। जहां से पाइपलाइन के माध्यम से वार्ड में मरीजों तक भेजा जाएगा। जल्द ही अस्पताल में यह सुविधा शुरू हो जाएगी। अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में अब जरूरत होने पर सिलेंडर लगाने के लिए ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को खोजने के परिजनों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। लेकिन अब इमरजेंसी में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए यह स्थिति पैदा नहीं होगी। इसके लिए वार्ड के प्रत्येक बेड के पास दीवार पर छोटा सा यंत्र और ऑक्सीजन मास्क लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है। ताकि किसी भी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होने पर तत्काल ऑक्सीजन दिया जाए सके। इसके लिए लगभग सारी सामग्री उपलब्ध करा दिया गया है। इंजीनियर निशांत कुमार ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल में 75 से अधिक बेडों पर ऑक्सीजन एवं वैक्यूम की सुविधा फरवरी माह से शुरू हो जाएगी। इसके लिए जरूरी सामग्री व उपकरण उपलब्ध हो चुकी है। 75 शय्या अनुमंडलीय अस्पताल में मेडिकल गैस पाइप सिस्टम लगाया जा रहा है। इसके माध्यम से अस्पताल में उपस्थित लगभग 83 बेडों पर गैस पाइप द्वारा ऑक्सीजन एवं वैक्यूम की सुविधा मरीजों को दी जाएगी।
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ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से पूर्व में हो चुकी है परेशानी
- अनुमंडल अस्पताल में पूर्व में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी का मामला कई बार उजागर हो चुका है। इसको लेकर रेफर मरीजों की जान तक जा चुकी है। ऐसे में पाइपलाइन के माध्यम से ऑक्सीजन की सुविधा की शुरुआत होने से सभी को राहत मिलने लगेगी। ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी और ऑक्सीजन खत्म होने से कई बार प्रसव कराने वाली महिलाओं व अन्य दुर्घटनाग्रस्त मरीजों की जान तक जा चुकी है।
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अस्पताल में चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी
- अनुमंडलीय अस्पताल में 33 चिकित्सकों के पद सृजित हैं, परन्तु वर्तमान में उपाधीक्षक के अलावा मात्र पांच जेनरल चिकित्सक पदस्थापित हैं। अस्पताल में जीएनएम की 106 पद हैं जिसमें मात्र 33 जीएनएम पदस्थापित हैं। अस्पताल में पीकू की भी व्यवस्था है। परन्तु चिकित्सक के अभाव में नवनिर्मित पीकू धूल खा रहा है। साथ ही महिला चिकित्सक की व्यवस्था भी नहीं है। जिसके कारण पुरूष चिकित्सकों के समीप महिलाओं को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। अस्पताल में एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। अस्पताल में चिकित्सकों के अलावा आधुनिकीकरण की काफी आवश्यकता है। तभी अस्पताल में आए हुए मरीजों की सुगमता से इलाज हो सकता है। अस्पताल में सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाने के बाद मरीजों को निजी नर्सिग होम में भटकना नहीं पड़ेगा।