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    Nawada: वन विभाग की जमीन पर उग्रवादी संगठन कर रहे अफीम की खेती, सरकारी नलों से हो रही सिंचाई पर प्रशासन अनजान

    Opium Farming जंगल में लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए सरकार ने नल-जल योजना के तहत टंकी लगाया है। उसी टंकी में लगे मोटर से सिंचाई किया जा रहा है लेकिन वन विभाग की गश्ती के बावजूद उन्हें जानकारी नहीं लगी।

    By Rahul KumarEdited By: Roma RaginiUpdated: Wed, 08 Feb 2023 12:40 PM (IST)
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    नवादा में वन विभाग की जमीन पर अफीम की खेती

    संवाद सहयोगी,रजौली, नवादा। पिपरा परतौनिया के घने जंगलों के बीच वन विभाग की कई एकड़ भूमि पर माफिया और उग्रवादी संगठन अफीम की खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे सरकार के नल-जल योजना के तहत लगाई गई टंकी से सिंचाई कर रहे हैं लेकिन वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।

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    रजौली थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित हरदिया पंचायत के डैम के उस पार पिपरा परतौनिया के घने जंगलों के बीच वन विभाग की कई एकड़ भूमि पर अभी भी अफीम का पौधा लगा हुआ है। अफीम की खेती करने के लिए माफिया और उग्रवादी संगठन जंगल में लगे हरे भरे पेड़ों को काटकर बर्बाद कर उस जगह पर अफीम की खेती कर रहे हैं।

    इस घने जंगल में लोगों को शुद्ध पानी पीने के लिए सरकार ने नल-जल योजना के तहत टंकी लगाया है। उसी टंकी में लगे मोटर से अफीम की खेत में पाइप के माध्यम से पानी पहुंचा कर सिंचाई किया जा रहा है। ऐसे तो वन विभाग के अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण करते हैं लेकिन, उन्हें अफीम का पौधा उनके भूमि पर लगे होने की भनक भी कैसे नहीं लगी, ये सवाल उठ रहे हैं।

    जंगली क्षेत्र में अफीम के खेती को संरक्षण देने का काम उग्रवादी संगठन पीएलएफआई और भाकपा माओवादी के स्लीपर सेल के सदस्य इस काम को बड़े सफाई तरीके से करते हैं। जंगल में निवास कर रहे गरीब तबके के लोगों को धमका कर बहला-फुसला कर धन का लोभ देकर अफीम के खेती में उन लोगों को सम्मिलित करते हैं। उग्रवादी संगठन अफीम की खेती से अर्जित करोड़ों रुपए से अपने पार्टी को मजबूत करते हैं।

    पिछले कई साल से रजौली सिरदला और गोविंदपुर थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाके में नक्सलियों की चहल कदमी पर पूरी तरह से विराम लगा हुआ है। इसका कारण यह है कि पुलिस पूरी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपनी नजर बनाई हुई है और नक्सलियों की कोई मंसूबों को कामयाब नहीं होने दे रही है लेकिन इस क्षेत्र के दर्जनों ऐसे लोग हैं, जो नक्सली संगठन के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम करते हैं। ऐसे तो इस बार पुलिस ने उग्रवादी संगठन को बड़ा नुकसान दिया है।

    अफीम के दो एकड़ फसल को पूरी तरह से बर्बाद करने के बाद नक्सलियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इसके बाद भी अभी भी जंगल में कई एकड़ में अफीम की खेती लगी हुई है।

    अफीम की खेती नष्ट करने गई पुलिस टीम पर हमला

    बता दें कि यह कोई नया मामला नहीं है कि रजौली थाना क्षेत्र में अफीम की खेती हो रही है। साल 2008 में हरदिया पंचायत के ही पिछली, जमुंदाहा गांव के पास अफीम की खेती बड़े पैमाने पर हुई थी। जिसे पुलिस नष्ट करने गई तो पुलिस बल पर उग्रवादी संगठन स्थानीय लोगों के साथ मिलकर फायरिंग भी किया था। इस मामले में हाल के ही कुछ साल पहले ही एसएसबी के जवानों ने नामजद प्राथमिकी आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

    साल 2022 में परतौनिया गांव के पास ही उत्पाद अधीक्षक के नेतृत्व में अफीम की खेती नष्ट की गई थी। नए साल 2023 में 4 फरवरी को पुलिस ने परतौनिया गांव के पास ही अफीम की खेती को नष्ट किया है।