नए साल में खूबसूरती के बीच इतिहास का दर्शन कराता है नारद: संग्रहालय
नवादा जिले का एतिहासिक नारद: संग्रहालय हर साल नए साल में अपने यहां पहुंचे सैलानियों का। ...और पढ़ें

नवादा जिले का एतिहासिक नारद: संग्रहालय हर साल नए साल में अपने यहां पहुंचे सैलानियों का स्वागत करता है। पूरे बिहार में पटना के बाद यह दूसरा बड़ा संग्रहालय के रूप में इंगित है। इस संग्रहालय में जिले के विभिन्न क्षेत्रों के एतिहासिक दूर्लभ प्रतिमाएं सुरक्षित रखी गई है। यहां भगवान बुद्ध की कई मुद्राओं वाली प्रतिमा से लेकर भगवान विष्णु, मंजू श्री, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं। पाल काल से लेकर आधुनिक काल की कई देवी-देवताओं की प्रतिमा के अलावा यहां उस जमाने की कलाकृतियां भी रखी गई है। कौआकोल के देवनगढ़ से लेकर हिसुआ के सोनसा, अपसढ़, पार्वती, रजौली से प्राप्त हुई कई प्रतिमाएं रखी गई हैं। इनके साथ ही यहां कई प्राचीन हस्तपांडुलिपियां भी सुरक्षित रखी गई है। मुगल काल के सिक्के व मिट्टी के बर्तन, अस्त्र-शस्त्र भी सैलानियों के लिए रखी गई है। इन सारी प्रतिमाओं के साथ ही इतिहास का दर्शन करने के लिए अनेक युवा, बुजुर्ग, स्कूली बच्चे नए साल के बहाने यहां आते हैं।
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हरियाली व फूलों की खूबसूरती के बीच लुभाता है फब्बारा
नारद: संग्रहालय में अनेक तरह के सजावटी पौधे यहां लगे हुए हैं। इसके साथ ही यहां रंगीन लाइ¨टग के बीच पानी का खूबसूरत फब्बारा भी लगा हुआ है। जो नए साल पर और जाकर निखारता है। यहां कई छुइमुई के पौधे को देखकर बच्चे आनंदित होते हैं। यहां छोटा सा मछली का तालाब भी है। जिसमें मांगुर मछली भी पलती है।
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कैसे पहुंचे नारद संग्रहालय
-जिला मुख्यालय में ही नारद: संग्रहालय स्थित है। शहर की ह्रदयस्थली प्रजातंत्र चौक से करीब 700 मीटर पर यह मुख्य सड़क पर ही है। इसके आसपास कई बड़े होटल हैं। यहां तक आने के लिए सीधा सड़क मार्ग जो कि पटना या रांची की ओर से शहर में आया जा सकता है। इसके अलावा किउल-गया रेलमार्ग भी नवादा स्टेशन से होकर गुजरता है। यानि रेल के जरिए भी नवादा संग्रहालय पहुंचा जा सकता है।

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