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    Railway News:कोडरमा-तिलैया रेलखंड से रोजगार और विकास को मिलेगी नई रफ्तार, दिसंबर तक पूरा हो सकता है काम

    By Jagran NewsEdited By: Divya Agnihotri
    Updated: Thu, 22 May 2025 01:02 PM (IST)

    1625 करोड़ की लागत से बन रहे कोडरमा-तिलैया रेलखंड का काम दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है। इससे राजगीर नवादा जैसे क्षेत्रों को बेहतर रेल सुविधा मिलेगी। साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। स्टेशनों पर स्थानीय संस्कृति की झलक दिखेगी और आधुनिक सुविधाएं भी होंगी।

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    कोडरमा-तिलैया रेलखंड से रोजगार और विकास को नई रफ्तार

    राहुल कुमार रजौली (नवादा)। झारखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने वाला कोडरमा-तिलैया रेलखंड अब अपने अंतिम चरण में है। यह परियोजना न केवल रेलवे नेटवर्क को सुदृढ़ करेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक गतिविधियों का नया मार्ग भी खोलेगी।

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    1625 करोड़ की लागत से हो रहा निर्माण

    करीब 1625 करोड़ की लागत से बन रहा 64.75 किलोमीटर लंबा कोडरमा-तिलैया रेलखंड दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है। निर्माण कार्य तेजी से जारी है, जिसमें सुरंगें, पुल और स्टेशनों का कार्य अंतिम चरण में है।

    रेलवे लाइन के निर्माण कार्य में लगे एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 41 किलोमीटर रेल लाइन का काम कंप्लीट हो चुका है, जबकि 24 किलोमीटर अभी अंडर कंस्ट्रक्शन है। इसमें काम चल रहा है

    लक्ष्य रखा गया है कि 26 मार्च 2026 तक इसे पूरा कंप्लीट कर लें। अगर मौसम खराब रहा और किसी तरह की कोई दिक्कत आई तो तारीख और आगे बढ़ सकती है।

    इस रेलखंड के शुरू होने से राजगीर, तिलैया, नवादा, बरही, कोडरमा जैसे क्षेत्रों के लोगों को रेलवे की बेहतर सुविधा मिलेगी। आम जनों के लिए इलाज, शिक्षा, रोजगार और व्यापार के रास्ते खुलेंगे।

    स्थानीय युवाओं को निर्माण से लेकर संचालन तक में रोजगार मिलने की उम्मीद है। रेलवे के अधिकारियो अनुसार, निर्माण पूरा होते ही इस रेलखंड पर यात्री और मालगाड़ियां दोनों चलेंगी, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बड़ा बल मिलेगा।

    कोडरमा-तिलैया रेलखंड से जुड़ी खास बातें

    • चार सुरंग और सात बड़े पुल इस रेलखंड की सबसे तकनीकी चुनौतियों में से एक हैं। इन सुरंगों में से कुछ ऐसी पहाड़ियों से गुजरती हैं, जहां पहले कोई आधुनिक निर्माण नहीं हुआ था।
    • घने जंगलों और पहाड़ियों को काटकर बनाया जा रहा यह मार्ग, भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण रेलमार्गों में गिना जाएगा।
    • राजगीर से रांची का सफर इस रेललाइन से 3 से 4 घंटे कम हो जाएगा, जिससे पर्यटकों और छात्रों को विशेष लाभ होगा।

    विकास के साथ जिम्मेदारी भी

    भारतीय रेलवे ने इस रेलखंड में "वाइल्डलाइफ कॉरिडोर" बनाने की योजना बनाई है, ताकि हाथी और अन्य वन्यजीवों को सुरक्षित रास्ता मिल सके।

    स्टेशनों पर स्थानीय संस्कृति की झलक

    संभावित योजना के अनुसार स्टेशन परिसर में नवादा और कोडरमा की लोक कलाओं व काष्ठ शिल्प की झलक दिखेगी, जिससे यह स्टेशन केवल यात्रा का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी केंद्र बनेगा।

    हर स्टेशन पर CCTV और सौर ऊर्जा का उपयोग

    यह रेलखंड आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, जिसमें स्टेशन परिसर सौर ऊर्जा से रोशन होंगे।

    2025-26 के रेल बजट में आवंटन

    तिलैया और कोडरमा के बीच 68 किलोमीटर नई रेल लाइन के निर्माण के लिए 446.74 करोड़ का आवंटन किया गया है।

    सुरंग और पुल

    रेलखंड में चार सुरंगों और सात बड़े पुलों का निर्माण शामिल है। सुरंगों की खुदाई और पुलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

    स्वीकृति वर्ष

    • इस परियोजना को 2001-02 में स्वीकृत किया गया था।
    • उस समय के रेल मंत्री नीतीश कुमार थे, जिन्होंने इस परियोजना की स्वीकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    परियोजना का उद्देश्य

    यह रेलखंड बिहार के नवादा जिले के तिलैया से झारखंड के कोडरमा जिले तक फैला है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 65 किलोमीटर है।

    निर्माण की शुरुआत

    • परियोजना का निर्माण कार्य 1 मार्च 2002 को शुरू हुआ था।
    • परियोजना को 30 सितंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

    ब्रिटिश जमाने की पुरानी योजना अब पूरी हो रही है

    कोडरमा-तिलैया-राजगीर रेललाइन की कल्पना 1930 के दशक में अंग्रेजों ने की थी, लेकिन आजादी के बाद यह दशकों तक फाइलों में दबी रही।