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    चांद और मंगल पर जाने के दौर में नवादा के धरती पर फैल रहा अंधविश्वास का अंधेरा

    दंपती को अर्धनग्न अवस्था में दोनों का सिर मुंडन कर पेशाब पिलाया जूते-चप्पल का माला पहनाकर देर रात तक टोले में घुमाया। सुबह होते ही मृत पति के साथ पत्नी को भी जिंदा जलाने की तैयारी कर लिया। गनीमत रही कि पुलिस को भनक लगी तो शमशान के समीप पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया जख्मी महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया।

    By Rajesh Prasad Edited By: Radha Krishna Updated: Wed, 27 Aug 2025 06:25 PM (IST)
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    चांद व मंगल पर जाने के दौर में नवादा के धरती पर फैल रहा अंधविश्वास का अंधेरा

    राजेश प्रसाद, जागरण, नवादा। यह सच है इंसान चांद व मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं, लेकिन डायन जैसी कुप्रथाओं का आज भी मौजूद होना समाज में अंधविश्वास और वैज्ञानिक प्रगति के बीच एक बड़ी खाई को दर्शा रहा है। जहां तर्क से अधिक डर और गलत सूचनाएं हावी हैं। चांद पर पहुंचना वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धि है, जबकि डायन प्रथा लोगों की अज्ञानता और कमजोर मानसिक स्थिति का प्रतीक है, जो उन्हें अंधविश्वासी का शिकार बना रही है।

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    हर हाथ इंटरनेट में गोते लगा रहे है, और डायन की कुप्रथा पर नवादा के हिसुआ में हुई घटना लोगों के बीच अंधविश्वास की घटना ने झकझोर दिया, जहां भीड़ ने डायन बताकर एक दंपत्ती को बेरहमी से पिटा पति की मौत और घायल पत्नी की इलाज अस्पताल में चल रहा है। हालांकि घटना के बाद पुलिस 17 लोगों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ में गली हुई है। वहीं पांचू गढ़ मुसहरी गांव में माेहन मांझी के घर छठियारी में बज रहे डीजे बाजा बार-बार हो रहा था बंद, जादू-टोना करने का आरोप लगाकर दंपत्ती की बेरहमी से पिटाई के बाद इस बर्बरतापूर्ण घटना यही नहीं रुकी।

    दंपती को अर्धनग्न अवस्था में दोनों का सिर मुंडन कर पेशाब पिलाया, जूते-चप्पल का माला पहनाकर देर रात तक टोले में घुमाया। सुबह होते ही मृत पति के साथ पत्नी को भी जिंदा जलाने की तैयारी कर लिया। गनीमत रही कि पुलिस को भनक लगी तो शमशान के समीप पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया, जख्मी महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया।

    वैज्ञानिक और तार्किक सोच को बढ़ावा देने से अंधविश्वास होंगे कम

    यह घटना एक अनुसूचित टोले की है, जहां यह समाज ईंट-भट्टे पर जाकर अपना पेट पालने को मजबूर रहते हैं। शिक्षा से ये लोग कोसों दूर है, जिससे डायन व जादू-टोना जैसे कुप्रथा से जकड़े हुए हैं। समाज में सदियों से यह बुराई और जकड़न चली आ रही है। यह ऐसा रोग है, इसने समाज की नींव खोखली कर दी है। खासकर महिलाएं और किशोरियां, झाड़फूंक, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, ओझा-गुणी के चक्कर में पैसे गंवा रही हैं।

    हम चांद और मंगल पर मानव जीवन के संभावनाओं को तलाश रहे हैं। वहां आशियाना बसाने के लिए नित्य नई खोजें कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर रुक जाना, उल्लू का घर की छत पर बैठने को अशुभ मानना, बाई आंख फड़कने पर अशुभ समझना, मानव बलि देना और भी अनेक ऐसे अंधविश्वास आज भी मौजूद हैं।

    वैसे वैज्ञानिक शिक्षा का अभाव लोगों को अंधविश्वासी बनाता है। कुछ लोग अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने के लिए डायन जैसी कुप्रथाओं का सहारा लेते हैं। डायन प्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान और कानूनों के बावजूद, यह आज भी ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में प्रचलित है।