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    Bihar: पूर्व मंत्री गायत्री देवी का पटना में निधन, सीएम ने जताया शोक; राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

    By Jagran NewsEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Sun, 09 Apr 2023 01:40 PM (IST)

    बिहार सरकार में मंत्री रहीं गायत्री देवी ने 80 साल की उम्र में रविवार की अलसुबह अंतिम सांस ली। वे काफी समय से बीमार थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व मंत्री गायत्री देवी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

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    Bihar: पूर्व मंत्री गायत्री देवी का पटना में निधन, सीएम ने जताया शोक; राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

    नवादा, जागरण संवाददाता। बिहार सरकार में मंत्री रहीं गायत्री देवी (Gayatri Devi) ने 80 साल की उम्र में रविवार की अलसुबह अंतिम सांस ली। वे काफी समय से बीमार थी। पटना के एक निजी अस्पताल में गायत्री देवी का इलाज चल रहा था। बिहार की राजनीति में गायत्री देवी जाना-पहचाना नाम थी। वे करीब तीन दशक तक नवादा और गोविंदपुर की विधायक रहीं हैं। उनके बेटे कौशल यादव जेडीयू नेता और पूर्व विधायक हैं।

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    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पूर्व मंत्री गायत्री देवी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वे एक कुशल राजनेता एवं समाजसेवी थी। वे मृदुभाषी एवं सरल स्वभाव की महिला थी। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने गायत्री देवी के पुत्र कौशल यादव से फोन पर बात कर उन्हें सांत्वना दी। नवादा में राजकीय सम्मान के साथ गायत्री देवी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

    बता दें कि बिहार की राजनीति में गायत्री देवी ने एक लंबा सफर तय किया। उनके पति युगल किशोर सिंह यादव 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से एमएलए बने थे। उस वक्त दरोगा राय मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने थे। हालांकि, पति के असमय निधन के बाद गायत्री देवी ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला।

    वे खुद राजनीति में उतरी और विधानसभा का चुनाव लड़ा। साल 1970 में गायत्री देवी पहली बार गोविंदपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीती। वह 1972 में कांग्रेस के टिकट पर नवादा की विधायक बनीं। फिर 1980 से लगातार तीन बार गोविंदपुर से कांग्रेस की विधायक रहीं। साल 2000 के चुनाव में राजद के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से ही चुनाव जीती। फिर 2005 तक विधायक रहीं। इसके बाद उनके बेटे कौशल यादव जीते और परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया।