'मैडम जी... मत जाइये', शिक्षिका की विदाई पर भावुक हुई छात्राएं; बोलीं- सबसे अलग था सुशीला मैम का अंदाज
नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड में शिक्षिका सुशीला कुमारी के विदाई समारोह में छात्राएं भावुक हो गईं। शिक्षिका सुशीला कुमारी 2010 से 2025 तक कार्यरत थीं जिनका स्थानांतरण होने पर बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी भावुक हो गए। छात्राओं ने उनके पढ़ाने के विशेष अंदाज की सराहना की। सुशीला कुमारी ने छात्राओं को हमेशा अपनी बेटी की तरह माना और प्रेरित किया।

संवाद सूत्र, मेसकौर (नवादा)। आपने गुरु-शिष्य की कई कहानी सुनी होगी, लेकिन बिहार के नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड से ऐसा दृश्य सामने आया है, जिसे देखकर हर बच्चे की आंखें भाव से भर गई।
दरअसल, मेसकौर के पसाढ़ी गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका का चयन प्रधानाध्यापिका के पद पर हो गया। जिसके बाद उन्हें विदाई दी जा रही थी। इसी बीच छात्राएं फूट-फूटकर रोने लगीं। शिक्षिका भी बच्चों से लिपटकर रोने लगी।
उन्हें रोते देखकर सहकर्मी शिक्षक-शिक्षिकाओं की भी आंखें नम हो गई। शिक्षिका सुशीला कुमारी के सादगीपूर्ण व्यवहार, सरलता और कार्य कुशलता का पूरा विद्यालय परिवार कायल था। बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनसे आत्मीय संबंधों ने गुरु-शिष्य के रिश्ते को और मजबूत कर रखा था।
वे 2010 से लगातार 2025 तक शिक्षिका के पद पर कार्यरत थी। उनका स्थानांतरण नवसृजित प्राथमिक विद्यालय विद्यालय अधगावं में किया गया है। बच्चियां कह रही थीं कि मैडम अभी आप मत जाइए।
छात्रा अंजली कुमारी ने कहा कि सुशीला मैम के पढ़ाने का अंदाज बिल्कुल अलग था। वह एक-एक चैप्टर को बड़े ही अलग अंदाज में पढ़ाया करती थीं। यही कारण है कि हम लोगों को उनका पढ़ाया दिमाग में बस जाता था। अब उनका यहां से ट्रांसफर हो रहा है, तो हम सभी भावुक हो गए हैं।
इस बीच पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुशीला कुमारी ने कहा कि नौकरी में ट्रांसफर होना तय है। मैं छात्राओं को अपनी बेटी की तरह मानती थी। कभी उन्हें किसी बात के लिए डांटा नहीं, बल्कि हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी।
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