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    बिहार पंचायत चुनाव 2026 में बदलेगा आरक्षण रोस्टर! कई मौजूदा मुखिया नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 04:01 PM (IST)

    बिहार में पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। आरक्षण चक्र में बदलाव होने से कई मौजूदा मुखियाओं के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। 20 ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संवाद सूत्र, अकबरपुर (नवादा)। बिहार में पंचायत चुनाव 2026 की आधिकारिक तारीखों का एलान भले अभी बाकी हो, लेकिन आरक्षण चक्र में होने वाले बदलाव को लेकर पंचायतों में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।

    इस बार का चुनाव कई मौजूदा मुखियाओं के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि 2021 में जिस आरक्षण व्यवस्था के आधार पर चुनाव हुआ था, 2026 में वह बदल जाएगी।

    2021 के पंचायत चुनाव में मुखिया पदों की कुल संख्या 8,072 थी। इनमें 5,268 पद अनारक्षित श्रेणी के थे, लेकिन इन अनारक्षित पदों में भी 2,483 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। पिछड़ा वर्ग के लिए 1,357 मुखिया पद निर्धारित किए गए थे, जिनमें 543 महिला आरक्षण के तहत थे।

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    अनुसूचित जाति के लिए 1,338 पदों में 539 पद महिलाओं को दिए गए, जबकि अनुसूचित जनजाति के 91 पदों में से 20 पद महिला आरक्षण के तहत आए। कुल मिलाकर 3,585 मुखिया पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहे।

    2026 में बदलेगा आरक्षण चक्र

    पंचायती राज व्यवस्था के अनुसार हर दो पंचायत चुनावों के बाद आरक्षण चक्र बदल दिया जाता है। 2016 और 2021 दोनों चुनाव एक ही चक्र के आधार पर हुए थे, लेकिन 2026 में यह चक्र बदल जाएगा। ऐसे में 2021 में जो सीटें सामान्य श्रेणी में थीं, वे अब आरक्षित हो सकती हैं।

    वहीं जो सीटें एससी, एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, वे सामान्य श्रेणी में बदल सकती हैं। इस कारण कई ऐसे मुखिया, जिन्होंने 2021 में सामान्य सीट से जीत दर्ज की थी, उन्हें इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा, यदि उनकी सीट आरक्षित श्रेणी में चली जाती है।

    यही स्थिति अन्य जनप्रतिनिधियों-सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्यों के साथ भी लागू होगी।

    SC/ST आरक्षण जनसंख्या अनुपात पर आधारित

    अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण पूरी तरह जनसंख्या अनुपात के आधार पर तय किया जाएगा। पंचायती राज अधिनियम के अनुसार सभी श्रेणियों को जोड़कर आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। साथ ही हर श्रेणी में 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए अनिवार्य रूप से लागू रहेगा।

    मुखिया पद का आरक्षण प्रत्येक प्रखंड की सभी पंचायतों की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होगा। इस नई व्यवस्था के बाद कई पंचायतों में चुनावी समीकरण पूरी तरह बदलने वाले हैं। आगामी महीनों में आरक्षण सूची जारी होने के साथ ही पंचायत राजनीति में और तेजी आने की संभावना है।

    जिस तरह से सोशल मीडिया पर खबर आ रही है कि वार्ड सदस्य एवं पांच सदस्य को कम से कम माध्यमिक पास जबकि सरपंच एवं मुखिया के लिए 12वीं पास होना जरूरी है इस तरह से कितने चुने हुए प्रतिनिधि चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे।