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    Bihar: जिंदगी की डोर तोड़ रहा टूटे खिलौनों को जोड़ने वाला सुलेशन, युवाओं में तेजी से बढ़ रही सस्ते नशे की लत

    By Rajesh PrasadEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Thu, 13 Jul 2023 02:05 AM (IST)

    Bihar Health News खिलौनों से खेलने की उम्र में उसी को जोड़ने में काम आने वाला केमिकल बच्चों और किशोरों के जीवन की डोर तोड़ रहा है। युवाओं में इस सस्ते नशे की लत तेजी बढ़ रही है। बेहद ही सस्ते दाम में कहीं भी मिल जाने वाले इस केमिकल को युवाओं द्वारा रूमाल पर छिड़ककर सूंघते दिखना अब आम बात हो गई है।

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    जिंदगी की डोर तोड़ रहा टूटे खिलौनों को जोड़ने वाला ‘केमिकल’। (प्रतीकात्मक फोटो)

    राजेश प्रसाद, नवादा: खिलौनों से खेलने की उम्र में उसी को जोड़ने में काम आने वाला केमिकल बच्चों और किशोरों के जीवन की डोर तोड़ रहा है। इस सस्ते और घातक नशे की गिरफ्त में अधिकतर कूड़ा चुनने वाले हैं। स्थिति इस कदर भयावह हो चली है कि इस वर्ग के बच्चे हर टोले, मोहल्ले व चौक, चौराहे पर रूमाल या प्लास्टिक में केमिकल छिड़क उसे सूंघते दिखने लगे हैं।

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    स्टेशनरी से लेकर किराना दुकान, साइकिल दुकान और गुमटी चलाने वाले व्यवसाई चंद रुपयों की लालच में किसी को सुलेशन व फेविकोल बेच दे रहे हैं। कम से कम 10 रुपये में नशे का यह साधन उपलब्ध है। दुकानदार सोनू कुमार व चंदन कुमार की मानें तो यह सुलेशन प्लास्टिक के सामान व टूटे-फूटे पार्ट पूर्जे को जोड़ने के साथ कागज चिपकाने में काम आता है। वाहनों के ट्यूब पंक्चर बनाने में भी इसका प्रयोग होता है।

    इस तरह होता है इस्तेमाल

    संबंधित केमिकल के एक पैकेट को खरीद कर कहीं अकेले में बैठ कर प्लास्टिक की पन्नी पर उसे पहले निचोड़ देते हैं। उसके बाद हथेली में बंद कर नाक के पास ले जाकर सांस खींचते हैं।

    पांच मिनट बाद उन पर नशा हावी होने लगता है। नशे का प्रभाव चार से पांच घंटे तक रहता है। इस तरह दिन में दो बार और कभी कभी शाम में भी इसकी एक डोज लेते हैं। यह नशा शरीर को सुन्न कर देता है।

    ये है दुष्प्रभाव

    सीएचसी पकरीबरावां के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिन्हा बताते हैं कि सभी केमिकल हानिकारक हैं। फेफड़े में सूजन आ जाती है व हृदय, श्वास नली पर इसका सीधा दुष्प्रभाव होता है। समय पर इसका उपचार नहीं हुआ तो मौत भी हो सकती है।

    नशा करने के बाद किशोर कहीं भी घंटों निढाल बैठे रहते हैं। चार-पांच बच्चे अगर एक जगह बैठे भी रहते हैं, तो आपस में बात तक नहीं करते। खुद में सिमटे रहते हैं। चिकित्सक ने बताया कि यह नशा सेवन करने वाले का शरीर शिथिल कर देता है। सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। ऐसे में वह अनजाने में कोई अपराध भी कर सकता है।

    नशा करने का यहां है ठिकाना

    रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, पोस्टमार्टम रोड, मिर्जापुर, पार नवादा रेलवे लाइन समीप, चाय पान की दुकान, रेलवे पुल, रेलवे यार्ड, रेलवे पटरी के आसपास

    बच्चों का कुतर्क, भूख नहीं लगती, थकान भी मिट जाती

    नशा सेवन करने वाले कुछ बच्चों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि माता-पिता के सिर से साया उठ जाने के बाद कोई देखने वाला नहीं है। कूड़ा-कचरा चुनकर जीवन यापन करते हैं। अब तो लोग भीख देना भी बंद कर दिए हैं। कूड़े की ढेर में कुछ उपयोगी वस्तुएं मिल गईं, तो उसे बेचकर भोजन करते हैं।

    10 से 15 रुपये में मिलने वाले सुलेशन सूंघने से कई घंटे तक भूख नहीं लगती, थकान भी मिट जाती है। एक किशोर ने पूछने पर बताया कि तेजी से केमिकल सुंघने के बाद शरीर हल्का हो जाता है। बच्चों से कोई हुनर सीख जीवनयापन करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।

    - 10 रुपये में फेविकाल का मिलता पाउच

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