विश्व की पहली गणतंत्र जन्मस्थली से 2025 के 18वें विधानसभा चुनाव तक बिहार का ऐतिहासिक सफर
बिहार, विश्व में गणतंत्र की जन्मस्थली रहा है। यहाँ ईसा पूर्व छठी शताब्दी में पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई। महात्मा गांधी ने भी यहीं से स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया। 2000 में झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में 243 विधानसभा सीटें रह गईं। 2025 में बिहार में 18वें विधानसभा चुनाव होंगे, जिसमें कई बदलाव देखने को मिलेंगे।

18वें विधानसभा चुनाव तक बिहार का ऐतिहासिक सफर
मनमोहन कृष्ण, नवादा। विश्व में गणतंत्र की जन्मस्थली रहा है बिहार। ईसा पूर्व छठी शताब्दी के समय वैशाली में वज्जि संघ के नेतृत्व में दुनिया की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था अस्तित्व में आई थी। शताब्दियां बीतीं। आक्रांताओं की झंझावतों के बीच बिहार की अस्मिता अक्षुण्ण बनी रही।
ब्रिटिश हुकूमत के समय महात्मा गांधी ने बिहार की धरती पर पश्चिम चंपारण से अपने स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ किया। वर्तमान में इसी पश्चिमी चंपारण का वाल्मिकी नगर बिहार का पहला विधानसभा क्षेत्र है, जबकि चकाई 243वां।
इस स्वरूप के प्राप्त करने में ग्यारह दशकों का समय लगा। ब्रिटिश भारत में 22 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसीडेंस से अलग बिहार एवं उड़ीसा राज्य का गठन हुआ। करीब साढ़े तीन दशकों बाद भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत दोनों राज्य अलग-अलग अस्तित्व में आएं। इस समय बिहार विधानसभा में 152 निर्वाचित सदस्य होते थे।
1952 में बिहार का पहला विधानसभा चुनाव
26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ। इसके बाद 1952 में बिहार का पहला विधानसभा चुनाव सम्पन्न कराया गया। इस समय मनेर पहला और घाटशिला सह बहरागोड़ा 330वां विधानसभा क्षेत्र बना था।
इस दौर में आंग्ल-भारतीय समुदाय का एक व्यक्ति विधानसभा में मनोनीत होता था। दूसरी सहस्राब्दी में 16 नवंबर 2000 को बिहार और झारखंड अलग हुए। इस दौर में धनहा पहला विधानसभा बना। बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित नवादा-रजौली, गोविंदपुर, वारिसलीगंज, हिसुआ अंतिम विधानसभा सीटें रहीं।
जिसमें हिसुआ को 243वां सीट का गौरव प्राप्त हुआ। 73 वर्षों के बाद 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव आयोजित करके 18वें विधानसभा का गठन होगा। इस स्वरूप को प्राप्त करने में कई बदलाव सामने आएं।
यह रही इस बदलाव की क्रमवार स्थिति
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 में बिहार विधानसभा के लिए 152 निर्वाचित सदस्यों का हुआ था प्रविधान
- आजाद भारत के बिहार में 1952 में हुआ पहला चुनाव, विधानसभा में 330 निर्वाचित और 01 मनोनीत सदस्य के साथ कुल 331 सदस्य
- राज्य पुनर्गठन आयोग, 1956 के आधार पर सीटों की संख्या घटकर हुई 318 व 01 मनोनीत सदस्य संग कुल सदस्यों की संख्या हुई 319
- 1957 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में धनहा पहला और लेस्लीगंज बना 318वां सीट
- 1962, 1967, 1969 (मध्यावधि चुनाव) एवं 1972 में हुए बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 319 रही
- जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में 1977 में बिहार विधानसभा की सीटें बढ़ी, 324 निर्वाचित और 01 सदस्य के मनोनयन के साथ सदस्यों की संख्या हो गई 325
- धनहा पहली सीट के तौर पर रहा यथावत, लेकिन हुसैनाबाद बन गया 325 वां सीट
- नवंबर, 2000 में संसद द्वारा बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश में रह गई 243 सीट, 81 निर्वाचित और 01 मनोनीत मिलाकर 82 सदस्य झारखंड के बन गए अंग
- एक दशक तक पुनः धनहा रहा बिहार विधानसभा का पहला क्षेत्र, जबकि 243वें सीट पर हिसुआ (नवादा) हुआ काबिज
- 2010 में परिसीमन के बाद फिर बदल गई बिहार की सीटों का क्रम, वाल्मिकी नगर पहली और चकाई है 243वीं विधानसभा सीट
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