'PM मोदी पर पूरा भरोसा'; पहलगाम हमले पर बोले बिहार गवर्नर, श्लोक सुनाकर धर्म की परिभाषा समझाई
नवादा जिला के हिसुआ प्रखण्ड स्थित टीएस कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गेरुआ रंग को त्याग का प्रतीक बताया। अपने संबोधन में राज्यपाल भगवान राम के जीवन का उदाहरण भी दिया। उन्होंने अपने संबोधन में पांडवों के संघर्ष त्याग और समर्पण का जिक्र किया। राज्यपाल ने कहा कि संविधान हमारी मान्यताओं परंपराओं का केंद्र बिंदु है।

जागरण संवाददाता, नवादा। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। गवर्नर ने सोमवार को नवादा में यह विश्वास जताया।
वह जिले के हिसुआ प्रखंड के टीएस कॉलेज में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में संबोधित कर रहे थे। बता दें कि यहां द इंडियन पॉलिटी: ए क्रिटिकल अप्रेजल विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया है।
इस दौरान गवर्नर ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को दुखदायी बताते हुए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत पर जोर देने के साथ इस दिशा में कार्रवाई होने का विश्वास भी जताया।
इसके अलावा उन्होंने रामायण, महाभारत के पात्रों और श्लोक सुनाकर सेमिनार में मौजूद लोगों को धर्म की सही परिभाषा भी समझाई। उन्होंने लोकतंत्र को शासन के सभी तरीकों में श्रेष्ठ बताया।
बता दें कि इस सेमिनार में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति समेत कई दूसरे यूनिवर्सिटी से कुलपति, वरीय अधिकारी मौजूद थे।
शासन के सभी तरीकों में लोकतंत्र श्रेष्ठ: राज्यपाल
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि शासन करने के सभी तरीकों में लोकतंत्र श्रेष्ठ है। इस दौरान उन्होंने गेरुआ रंग को त्याग का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि गेरुआ त्याग का रंग है। हम नींद त्यागकर सरस्वती की उपासना करते हैं।
गवर्नर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पुलिस, सैनिक सभी त्याग करते हैं। त्याग के बिना जीव संभव नहीं है। जिस दिन इंसान अपने स्वार्थ को त्याग कर परमार्थ को धारण कर लेता है, वह बेहतर जाता है।
राज्यपाल ने दीप जलाकर सेमिनार का उद्घाटन किया।
भगवान राम का दिया उदाहरण
राज्यपाल ने इस दौरान भगवान राम के जीवन का उदाहरण भी दिया। उन्होंने प्रभु राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हुए कहा कि सत्ता निश्चित समय के लिए आती है। इसका सदुपयोग होना चाहिए। सत्ता के मालिक आमजन हैं। केवल 5 वर्षों के लिए हमें सेवा करने का अवसर मिला है, यह भाव होना चाहिए।
आरिफ मोहम्मद खान ने इस दौरान महाभारत के प्रसंग का भी उल्लेख किया। उन्होंने अपने संबोधन में पांडवों के संघर्ष, त्याग और समर्पण का जिक्र किया। इसके साथ ही पांडवों की माता कुंती के श्लोक भी बताया।
धर्म की परिभाषा समझाई
दरअसल, गवर्नर ने पांडवों के संघर्ष, त्याग और समर्पण का उल्लेख करते हुए कुंती द्वारा युधिष्ठर को दिए गए ज्ञान को श्लोक के जरिये समझाया। इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि शासन के दायित्व क्या हैं।
'धर्मेते ध्यानम बुद्धिह' का श्लोक कहते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां धर्म को अलग तरीके से बताया गया है। भारतीय संस्कृति में विद्यार्थी धर्म, ब्रह्मचर्य धर्म, पुत्र-पुत्री, गुरु-शिष्य के धर्म का पालन किया जाता है।
राज्यपाल खान ने कहा कि 'सभै समाज:' यानी धर्म की सबसे बड़ी परिभाषा सभ्य समाज है। जो धारण करे, जो समाज को इकट्ठा रख सके, बिखरने न दे, एकता कायम रखे, यह धर्म है।
सभी का सम्मान करना जरूरी है, किसी को दबाने की जगह नहीं है, गरीब और कमजोर भी आदर से जी सकें, यही धर्म है। उन्होंने कहा कि कुंती ने कहा था दिल बड़ा होना चाहिए। भरतीय संस्कृति आत्मा के बंधन को मानती है। पेड़-पौधों, जीवों पर दया का भाव हो।
संविधान मान्यताओं-परंपराओं का केंद्र बिंदु
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि संविधान हमारी मान्यताओं, परंपराओं का केंद्र बिंदु है। भारत की पौराणिक कहानी का चित्रण संविधान में है। महत्वाकांक्षा होना जरूरी है, लेकिन उनका आदर्श होना भी बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मर्यादित जीवन की सीख वेद से मिलती है। जीवन आनंद लेने का नाम है, जीवन का उद्देश्य है आनंदित रहो। शासक का धर्म है कि हर प्रकार के लोगों को समान रूप से सभी को संरक्षण प्रदान करे।
गवर्नर ने कहा कि यह ठीक उसी तरह है जैसे कि डॉक्टर अपने मरीज से उसका रोग पूछता है, उसका उपचार करता है।
संविधान की परंपरा सबका सम्मान करने के बारे में बतलाती है। उन्होंने कहा कि नीतू जैसी जहां सजग प्रतिनिधि हो, वहां उनकी मांगों को कोई रोक नहीं सकता। राज्यपाल ने कार्यक्रम में मौजूद उद्घोषक दीपशिखा की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये मेरी बेटी जैसी हैं।
अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल ने पहलगाम हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें पीएम मोदी पर पूरा विश्वास है। इस मामले पर सरकार को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
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