ऑटोमेटिक समपार रेलवे फाटक मॉडल का रेलवे अधिकारियों ने किया निरीक्षण
मानव रहित समपार फाटक पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नवादा के अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री ने एक ऐसा मॉडल विकसित किया है, जिसे अपनाने की दिशा में रेलवे के द्वारा पहल शुरू की गई है।

नवादा : मानव रहित समपार फाटक पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नवादा के अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री ने एक ऐसा मॉडल विकसित किया है, जिसे अपनाने की दिशा में रेलवे के द्वारा पहल शुरू की गई है। ऑटोमेटिक मानव रहित रेल फाटक का यह मॉडल ऐसा है कि ट्रेन आने के दौरान फाटक स्वयं गिर जाता है और ट्रेन गुजरने के बाद उठ जाता है। बढ़ती रेल दुर्घटना व अपनी आंखों के सामने मानव रहित रेलवे समपार फाटक पर दुर्घटना को देखने के बाद नवादा नगर के रामनगर मोहल्ला निवासी अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री ने ऑटोमेटिक मानव रहित रेल फाटक बनाने की ठानी और ऐसा कर दिखाया।
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रेल अधिकारी पहुंचे निरीक्षण को
- गुरुवार को दानापुर रेल मंडल के वरीय मंडल सुरक्षा पदाधिकारी एम. के.तिवारी ने नगर के आइटीआइ मैदान पहुंचकर मॉडल का निरीक्षण किया। उन्होंने रेलवे के अन्य पदाधिकारियों के साथ ऑटोमेटिक मानव रहित रेल फाटक से होकर वाहन को चलाकर जांच किया। रेल अधिकारियों ने जुम्मन द्वारा बनाए गए मॉडल को काफी सराहा। उन्होंने कहा कि इस मॉडल में मेकनिकल सेंसर व डिजिटल सेंसर लगाकर और विकसित करने की जरुरत है। इस प्रोजेक्ट को विभाग के रिसर्च सेंटर लखनउ भेजा जाएगा। विभाग द्वारा मॉडल का चयन होने पर अधिकारियों के आदेश पर कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए रेलवे के अधिकारियों ने जुम्मन से प्रोजेक्ट बनाकर विभाग के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा। मौके पर नवादा यातायात निरीक्षक ए.के.सुमन, अशोक कुमार, ए.के.¨सह समेत कई लोग उपस्थित थे।
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60 हजार की लागत से बना मॉडल
- अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री ने बताया कि मानव रहित रेल फाटक को बंद करने व खुलने के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम बनाया गया है। जिससे रेलवे ही नहीं जन सधारण को भी इसका लाभ मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि इस मॉडल को तैयार करने में करीब 60 हजार रुपये खर्च हुए हैं। जुम्मन द्वारा बनाया गया यह सिस्टम पूरे देश में मानव रहित रेल फाटक पर दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने बताया कि इसे बनाने के लिए वह अपना भांजा प्रमोद कुमार से आíथक सहयोग लिया है। जो शेखपुरा जिले के मसौढ़ा गांव का रहने वाला है। उसने कहा कि केजी रेलखंड ही नहीं पूरे देश में सैकड़ों मानव रहित फाटक है। जहां आए दिन रेल लाइन पार करने में दुर्घटनाएं होते रहती है।
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छह माह में बना मॉडल
- जुम्मन ने बताया कि इस मॉडल को तैयार करने में करीब छह माह का समय लगा है। उन्होंने बताया कि रेल लाइन से सटे एक पोल के सहारे इसका स्वीच लगाया जाता है। जो ट्रेन आने के दौरान उस स्वीच से टकराने पर फाटक ऑटोमेटिक गिर जाता है। उस ट्रेन को फाटक पार करने के बाद दूसरे पोल के स्विच से टकराने पर फाटक ऑटोमेटिक खुल जाता है। इसके लिए एक बैट्री, साइकिल का फेरव्हील, चैन के साथ अन्य समान की मदद ली गई है। इसका डेमो गुरुवार को जुम्मन ने रेलवे के अधिकारियों के समक्ष प्रर्दिशत किया।

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