Nalanda news: विम्स पावापुरी में डॉक्टरों की कमी के कारण 3 महीने से डेंटल विभाग में लगा है ताला
डॉक्टरों की संख्या निरंतर घट रही है। सबसे अधिक कमी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की है। जिससे नालंदा जिला के अलावा नवादा जमुई जिलों से आने वाले हजारों मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।दंत रोग विभाग में डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल में दांत के रोगियों के लिए चिकित्सा सेवा बंद कर दी गयी है।

संवाददाता, नालंदा। जिले के सबसे बड़े अस्पताल भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी में संसाधन तो बढ़ रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों की संख्या निरंतर घट रही है। सबसे अधिक कमी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की है। जिससे नालंदा जिला के अलावा नवादा जमुई जिलों से आने वाले हजारों मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।
पावापुरी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 3 महीने से ज्यादा समय से डेंटल विभाग में चिकित्सा सेवा ठप है । दंत रोग विभाग में डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल में दांत के रोगियों के लिए चिकित्सा सेवा बंद कर दी गयी है। ऐसे में दांत रोगियों के मरीजों को काफी परेशानियां हो रही है। अव्यवस्थाओं से जूझ रहे विम्स अस्पताल में मरीजों व उनके तीमारदारों की परेशानियां पहले ही काम नहीं थी अब डाक्टरों की कमी झेल रहे हैं।
डेंटल विभाग बंद होने की वजह से सैकड़ों मरीज प्रतिदिन अस्पताल से वापस बिना परामर्श लिए लौट रहे थे। इस स्थिति के कारण लोगों को इलाज के लिए दूर के अस्पतालों में जाना पड़ रहा है साथ ही समय और पैसे की बर्बादी हो रही है । बता दें कि विम्स पावापुरी के अधिकांश विभाग में चिकित्सकों के रिक्त पदों के कारण लोगों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।
खासकर बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के रिक्त पदों के कारण लोगों को इलाज के लिए दिक्कत आ रही है। हड्डी विभाग मात्र 2 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा हैं, नतीजतन महीने भर से मरीजों को आपरेशन का इंतजार करना पड़ रहा हैं वही अल्ट्रासाउंड करने के लिए तीन-तीन महीने का इंतजार करना पड़ रहा है।
डेंटल विभाग में दांत का इलाज कराने आए रुपेश कुमार ने बताया कि उनके दांत में तीन दिन से बहुत तेज दर्द था दवा खाने के बाद भी दर्द और सूजन बढ़ता गया, इसके बाद उन्होंने इलाज करने के लिए ओपीडी गए तो पता चला कि विभाग बंद हैं।
इलाज के लिए पटना या डेंटल कॉलेज जाना बनी विवशता
पूर्व में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डेंटल मरीजों के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध थी. यहां मनोरोगियों के इलाज के लिए ओपीडी संचालित होता था. यहां पदस्थापित चिकित्सक मरीजों का इलाज किया जाता था . डेंटल विभाग में ओपीडी चिकित्सा ठप होने के कारण अब मरीजों को इलाज के लिए पटना या अन्य जगह जाना पड़ता है. जिससे उनका समय व्यर्थ हो रहा है एवं आने-जाने में खर्च बढ़ रहा है
लाखों की लागत से तैयार डेंटल विभाग बना कबाड़खाना
अस्पताल के डेंटल ओपीडी में दांत के रोगियों के लिए विशेष वार्ड बनाया गया था. प्रतिदिन सैकड़ों दंत रोगी डॉक्टरों से परामर्श का लाभ लेते थे। डेंटल विभाग के निर्माण में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ने लाखों रुपये खर्च किये थे. लेकिन डॉक्टर की कमी के कारण वर्तमान में डेंटल रोगियों के लिए बनाया गया ओपीडी कबाड़खाना बन गया है.
3 माह में एक चिकित्सक नहीं ढूंढ़ पाया स्वास्थ्य विभाग
3 माह की अवधि में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग एक डेंटल चिकित्सक नहीं ढूंढ़ पाया है. संस्थान प्रबंधन के अनुसार उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से कई बार डेंटल चिकित्सक उपलब्ध कराने के लिए पत्राचार किया गया है. अबतक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
एमबीबीएस विद्यार्थी नहीं ले पा रहे लाभ
इस अस्पताल में एमबीबीएस के छात्र भी पढ़ाई करते हैं, डेंटल विभाग में डॉक्टर नहीं रहने के कारण इसका असर एमबीबीएस विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। कई एमबीबीएस छात्रों को पर्याप्त व्यावहारिक अनुभव नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि अस्पतालों में मरीजों की संख्या बहुत ज़्यादा है और डॉक्टरों की कमी के कारण उन्हें पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है ।
फिलहाल डेंटल विभाग के ओपीडी में कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है । पहले एक असिस्टेंट प्रोफेसर थे जिन्हें दूसरे जगह पर भेज दिया गया। यहां से डॉक्टर के लिए पत्राचार किया गया है लेकिन अभी तक कोई डॉक्टर की यहां नियुक्ति नहीं हुई है
डॉ. अजय कुमार, अस्पताल के उपाधीक्षक
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