पावापुरी मोड़ पर जाम की समस्या बनती जा रही है नासूर, दोपहर में निकलना मुश्किल
फुटपाथ पर दुकानदारों ने अस्थायी दुकानें बना ली तो किसी ने पक्की दुकानें बना ली हैं। इसके बाद वे तीन-तीन फीट पर दुकानों का सामान सजा देते हैं। बाजार खुलते ही 25 से 20 फीट चौड़ी सड़कें सिकुड़कर 10 से 15 फीट रह जाती है।ऐसे में राहगीरों और वाहन चालकों के हिस्से बमुश्किल एक चौथाई सड़क ही आती है।

संवाद सूत्र, जागरण, गिरियक(नालंदा)। पावापुरी मेडिकल कालेज एंड अस्पताल आने जाने वाले मरीज एवं राहगीरों के लिए जाम की समस्या पावापुरी मोड़ में नासूर बनती जा रही है। खासकर सुबह स्कूली टाइम और दोपहर और शाम में जाम विकराल रूप ले लेता है। इस समय पैदल आना जाना भी राहगीरों के लिए दूभर हो जाता हैं। पावापुरी बाजार में जाम की समस्या बीते 3 वर्षों से निरंतर गंभीर होती जा रही है।
ट्रक के लिए दिन में नो एंट्री व्यवस्था लागू होने के बावजूद बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और यातायात नियंत्रण के अभाव के कारण यात्री व राहगीर रोज जाम में फंसे रहने को विवश हैं। खासकर टोटो चालकों की मनमानी से राहगीर परेशान रहते हैं, जहां दिखती हैं सवारी वहीं रोक दी जाती है गाड़ी। इन टोटो चालकों की वजह से पूरे शहरी क्षेत्र में प्रतिदिन आम लोग ही नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मियों को भी सड़क जाम का सामना करना पड़ता है।
प्रतिदिन पावापुरी अस्पताल में हजारों की संख्या में मरीज अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज करते हैं लेकिन समस्या इमरजेंसी में आए मरीजों के लिए होती है। जाम की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों के अलावा नवादा या बिहारशरीफ से रेफर मरीजों को उठानी पड़ रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यही कारण है कि अक्सर जाम विकराल रूप लेता है।
पावापुरी बाजार से पावापुरी मेडिकल अस्पताल वैसे तो जाने में 5 मिनट से भी कम समय लगता हैं। लेकिन जाम की वजह से आधे घंटे से घंटे तक का समय लगता हैं। प्रतिदिन जाम लगने की वजह से एंबुलेंस का फंसना आम बात है। स्थानीय राहगीर से लेकर एम्बुलेंस चालकों भी जाम से लगातार परेशान है। राहगीरों, वाहन चालकों को मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़ता है।
एक सप्ताह पहले सड़क दुर्घटना में घायल मरीज करीब आधे घंटे तक एंबुलेंस में जाम की वजह से तड़पता रहा। कभी कभी पुलिस की सख्ती का असर कुछ दिन तक दिखाई देता है लेकिन पुलिस के व्यस्त होते ही जाम लगना चालू हो जाता है। शुक्रवार एक बार फिर लंबा जाम लग गया। जिसमे एंबुलेंस काफी देर तक फंसी रही। करीब आधे घंटे बाद जाम खुला तो लोगों ने राहत की सांस ली। अक्सर इस सड़क से मंत्री, विधायक एवं प्रशासनिक अधिकारी गुजरते हैं। उन्हें अतिक्रमण की वजह से जाम लगने की समस्या नजर आती है, तो अतिक्रमण हटाने के निर्देश देते हैं, लेकिन यह निर्देश सिर्फ निरीक्षण के दौरान तक ही सीमित रह जाते हैं।
जाम लगने की प्रमुख वजह छोटे दुकानदारों का सड़क पर अतिक्रमण का होना
फुटपाथ पर दुकानदारों ने अस्थायी दुकानें बना ली तो किसी ने पक्की दुकानें बना ली हैं। इसके बाद वे तीन-तीन फीट पर दुकानों का सामान सजा देते हैं। बाजार खुलते ही 25 से 20 फीट चौड़ी सड़कें सिकुड़कर 10 से 15 फीट रह जाती है।
बाजार की हालत इतने खराब है कि चौड़ी सड़कें दुकानें खुलते ही सिकुडऩे लगती है। दोनों ओर के दुकानदार सड़कों को ही शोरूम बना देते हैं। आधी से ज्यादा सड़क पर सामान रख दिया जाता है। बाकी सड़क पर दुकानदार और ग्राहकों के वाहन खड़े हो जाते हैं। ऐसे में राहगीरों और वाहन चालकों के हिस्से बमुश्किल एक चौथाई सड़क ही आती है।

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