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    द्वापर युग से जुड़ा है औंगारी व बड़गांव सूर्य मंदिर का इतिहास

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:15 PM (IST)

    बिहारशरीफ। नालंदा जिला का सूर्य पीठ बड़गांव व औंगारी वैदिक काल से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र रहा ह

    द्वापर युग से जुड़ा है औंगारी व बड़गांव सूर्य मंदिर का इतिहास

    बिहारशरीफ। नालंदा जिला का सूर्य पीठ बड़गांव व औंगारी वैदिक काल से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां की महत्ता किसे से छुपी नहीं है। बड़गांव सूर्य मंदिर व औंगारी धाम दुनिया में सूर्योपासना के 12 प्रमुख केन्द्रों में शामिल है। ऐसी मान्यता है कि यहां छठ करने से हर मुराद पूरी होती हैं। यही कारण है कि देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु यहां चैत एवं कार्तिक माह में छठ व्रत करने आते हैं। इस बार भी दोनों जगहों पर शासन व पूजा कमेटियों ने छठ के व्यापक इंतजाम किए हैं। आज नहाय-खाय के साथ छठ का 4 दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। शनिवार रात से ही छठव्रती अपने परिजनों के साथ बड़गांव व औंगारी धाम पर जुट गए हैं। शाप मुक्ति के लिए कृष्ण पुत्र साम्ब ने की थी सूर्य की आराधना : देश भर में फैली इसकी प्रसिद्धि की गाथा द्वापर युग से जुड़ी है। आस्था व लोगों के विश्वास के पीछे कई मान्यताएं है। एक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब काफी रूपवान थे। उन्हें देखकर रानियां भी मोहित हो जाती थीं। एक बार की बात है कि वे सरोवर में रानियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी उधर से नारद मुनि गुजरे। रास रचाने में व्यस्त साम्ब ने उनका अभिवादन नहीं किया, जिससे वे कुपित हो गए और उन्होंने जाकर श्री कृष्ण से इसकी शिकायत की। नारद मुनि के बहुत कहने पर जब वे सरोवर की ओर गये तो उन्हें भी यह दृश्य दिखा। कुपित होकर उन्होंने अपने पुत्र को कुष्ठ का शिकार होने का श्राप दे दिया। राजा साम्ब द्वारा पिता कृष्ण से काफी क्षमा याचना के बाद श्री कृष्ण ने कहा कि तुम्हें दिया गया श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसका उपाय नारद मुनि ही बता सकते हैं। नारद अपने साथ साम्ब को लेकर श्री कृष्ण के दरबार में पहुंचे, तो श्री कृष्ण ने कहा कि इसके लिये सूर्य देव की उपासना करनी होगी। नारद और श्री कृष्ण ने सूर्य देव की उपासना की तब जाकर सूर्य देव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना कर वहां हमारी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने से पुन: कंचन काया प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि सूर्य देव द्वारा श्राप मुक्ति के लिए बताए गये रास्ते पर चल कर 12 वर्षों में देश के 12 स्थानों पर सूर्य धाम की स्थापना की गई, जिसमें औंगारी और बड़गांव सूर्य धाम भी शामिल हैं। 12 जगहों पर है सूर्य धाम : लोगों की मानें तो देश भर में 12 जगहों में सूर्य धाम की स्थापना की गई थी। जिसमें लोलार्क, चोलार्क, उलार्क, अंगारक वर्तमान में औंगारी, पुण्यार्क, बरारक वर्तमान में बड़गांव, देवार्क, कोणार्क, ललितार्क, यामार्क, खखोलार्क और उत्तार्क शामिल है। तालाब खुदाई में मिली मूर्तियां: स्थानीय लोगों ने बताया कि तालाब की खुदाई के दौरान भगवान सूर्य, कल्प विष्णु, सरस्वती, लक्ष्मी, आदित्य माता, जिन्हें छठी मैया भी कहते हैं, सहित नवग्रह देवता की प्रतिमाएं निकलीं। बाद में इन प्रतिमाओं को तालाब के पास मंदिर बनवाकर स्थापित किया था। पहले तालाब के पास ही सूर्य मंदिर था। 1934 के भूकंप में मंदिर ध्वस्त हो गया। तब ग्रामीणों ने तालाब से कुछ दूरी पर मंदिर का निर्माण कर सभी प्रतिमाओं को स्थापित किया। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र सूर्य तालाब में स्नान कर सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना करने मात्र से कुष्ठ जैसे असाध्य रोग से मुक्ति मिल जाती है। छठ में पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु : ऐसे तो यहां सालों भर हर रविवार को सैकड़ों श्रद्धालु इस तालाब में स्नान कर असाध्य रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। लेकिन कार्तिक एवं चैत माह में लाखों श्रद्धालु यहां आकर विधि-विधान से छठव्रत करते हैं। अगहन और माघ माह में भी रविवार को यहां भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाता है। तालाब के पानी से बनाया जाता है प्रसाद : बड़गांव सूर्य तालाब के पानी से ही लोहंडा का प्रसाद बनाया जाता है। आसपास के बड़गांव, सूरजपुर, बेगमपुर आदि गांवों के लोग भी इसी तालाब के पानी से छठ का प्रसाद बनाते हैं। उनका कहना है कि परंपरा काफी पुरानी है जो अबतक जारी है। लोगों में तालाब और सूर्य मंदिर के प्रति काफी श्रद्धा है। छठ अनुष्ठान के चारों दिन तालाब के किनारे व्रती अस्थायी घेरा बनाकर रात भी गुजारते हैं।

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