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    नई नियमावली पर शिक्षक संघ की चेतावनी: कहा- अधर में 4 लाख शिक्षकों का भविष्‍य, सरकार सभी को एक तराजू से मत तोलो

    उन्होंने कहा कि एक माह पहले सरकार के शिक्षा मंत्री ने शिक्षक संगठनों को आमंत्रित कर शिक्षा के संवर्धन हेतु विचार लिया था लेकिन एक माह बाद एकाएक कैबिनेट की बैठक आयोजित कर विवादास्पद नियमावली 2023 का निर्माण सूबे के शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ धोखा है।

    By rajnikant sinhaEdited By: Deepti MishraUpdated: Sun, 07 May 2023 03:45 PM (IST)
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    गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि बीपीएससी परीक्षा के नाम सभी को एक ही तराजू पर तौलना न्यायसंगत नहीं।

    जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : बिहार में नवनियुक्त माध्यमिक-उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि सरकार की नई नियमावली और दोषपूर्ण नीतियों से चार लाख से अधिक शिक्षकों का भविष्‍य अधर में लटक रहा है। उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा, ऐसा लग रहा है कि बिहार सरकार की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, जो पिछले 17 सालों से अधिक समय सेवा दे रहे शिक्षकों व पुस्तकालय अध्यक्षों और हाल में बहाल हुए शिक्षकों को एक ही तराजू में तोलना चाहती है।

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    डॉ. गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि बिहार सरकार की यह नीति 'अंधेर नगरी चौपट राजा...टके सेर भाजी, टके सेर खाजा' वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। जहां का राजा भाजी और खाजा में अंतर नहीं समझता हो और दोनों की कीमत एक रखता हो, उस नगर यानी राज्य का क्‍या ही हाल होगा। नीतीश सरकार की हालत बिल्कुल यही है। बिहार सरकार पिछले 17 सालों से सेवा देने वाले शिक्षकों और हाल में बहाल होने वाले शिक्षकों को एक ही तराजू में तौलने की कोशिश कर रही है। इससे साफ होता है कि सरकार और पदाधिकारी निरंकुश हो चुके हैं।

    शिक्षक और अभ्‍यर्थियों के साथ धोखा

    उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास करने का जुमला पढ़ने वाली सरकार का जो मन होता है, अपने मन से अनाप-शनाप निर्णय लेकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि एक माह पहले सरकार के शिक्षा मंत्री ने शिक्षक संगठनों को आमंत्रित कर शिक्षा के संवर्धन हेतु विचार लिया था, लेकिन एक माह बाद एकाएक कैबिनेट की बैठक आयोजित कर विवादास्पद नियमावली 2023 का निर्माण सूबे के शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ धोखा है।

    शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर रही सरकार

    डॉ. गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि सरकार को कैबिनेट की बैठक में फैसला करने से पहले नियमावली -2023 पर शिक्षक संगठनों और शिक्षाविदों की राय  लेन चाहिए थी। अचानक शिक्षकों और अभ्यर्थियों पर नई शिक्षा नियमावली थोपना अन्याय और व्यावहारिक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने के चक्कर में अनाप-शनाप निर्णय लेकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने पर आमादा है।

    दें राज्यकर्मी का दर्जा और समान वेतन

    उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि बिहार सरकार नियमावली -2023 को लेकर अविलंब सूबे के शिक्षक संगठनों, शिक्षक प्रतिनिधियों व शिक्षाविदों के साथ बैठक आयोजित करें ताकि नियमावली की खामियां को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार 17 सालों से काम कर रहे शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा और समान काम का समान वेतन दे।

     साथ ही, सरकार बीपीएससी से बहाल होने वाले शिक्षकों को ठगने के बजाय उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा के साथ-साथ उन्हें पूर्ण वेतनमान और पूर्ण पेंशन आदि कि सुविधा भी मुहैया करें। उन्होंने कहा कि सरकार यदि नियोजित शिक्षकों के संदर्भ में ठोस निर्णय लेकर उनके भविष्य के प्रति गंभीर नहीं होती है तो नियोजित शिक्षक भी आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराएंगे।