बॉडी बिल्डिग प्रतियोगिता में मिस्टर बिहार बने शेखपुरा के सौरभ
शेखपुरा जिले के कबीरपुर गांव के सौरभ ने चार दिन पहले पटना में राज्यस्तरीय जूनियर मिस्टर बिहार क्लासिक बॉडी बिल्डिग चैम्पियनशिप 2020 का खिताब जीत लिया है।
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : शेखपुरा जिले के कबीरपुर गांव के सौरभ ने चार दिन पहले पटना में राज्यस्तरीय जूनियर मिस्टर बिहार क्लासिक बॉडी बिल्डिग चैम्पियनशिप 2020 का खिताब जीत लिया है। उन्हें मिस्टर बिहार की उपाधि मिली है। इंडो बॉडी बिल्डर्स एंड फिटनेस एसो. की ओर से राजधानी के एक रिसॉर्ट में एक फरवरी को आयोजित इस प्रतिस्पर्धा में सूबे भर के सैकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। जिसमें 22 साल के सौरभ ने साबित कर दिखाया कि शरीर सौष्ठव पर सिर्फ बड़े शहरों के जिम जाने वाले युवाओं का ही एकाधिकार नहीं है। अगर गांव के युवाओं में भी जुनून हो, तो वे अपनी धाक जमा सकते हैं।
जागरण से बातचीत में सौरभ ने अपनी सफलता का राज बताया। कहा, नियमित व्यायाम और समय पर पौष्टिक आहार से वे अपनी मांसपेशियों को मजबूत व आकर्षक बना सके हैं। सुबह में 15 अंडा और ओट्स नाश्ता करते हैं। सुबह-दोपहर व रात मिलाकर 2 किलो उबाला हुआ चिकेन और आधा किलो मछली लेते हैं। भोजन में नमक व तेल का इस्तेमाल नहीं करते। रोजाना कम से कम दो घंटे कसरत करते हैं। अगर किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होता है तो करीब एक माह पहले से व्यायाम का समय बढ़ाकर 4 घंटे कर देते हैं। सौरभ ने बताया कि उनके खाने पर ही हर माह 20 हजार रुपए का खर्च है। परिवार पर बोझ नहीं बनें, इसलिए नालंदा जिले के पावापुरी मेडिकल कॉलेज के निकट 'आरनॉल्ड यूनीसेक्स जिम' खोल लिया। यहां वे युवाओं को उनके आहार व शारीरिक क्षमता के मुताबिक कसरत कराते हैं। वहीं इच्छुक लोगों को बॉडी बिल्डिग के लिए भी ट्रेंड करते हैं। फिलहाल, सुबह 6 से 10 और शाम 4 से 10 बजे तक कई शिफ्ट में ट्रेनिग दे रहे हैं। अभी 90 से अधिक युवक-युवतियां दाखिला ले चुकीं हैं। इनमें 40-50 मेडिकल छात्र व छात्राएं हैं। जिम के जरिए उनकी खुराक व पॉकेट खर्च आसानी से निकल जा रहा है। सौरभ का अगला लक्ष्य बॉडी बिल्डिग में नेश्नल चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई करना है। कहा, इसके लिए अगले एक से दो साल तक कड़ी मेहनत करनी होगी। अंत में उन्होंने ने युवाओं को संदेश दिया कि वे हर तरह के नशे से दूर रहें और नियमित व्यायाम करके स्वस्थ्य और प्रसन्न रहें। तभी वे किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकेंगे। सौरभ दो भाइयों में बड़े हैं। अपनी नियमित दिनचर्या और मानक के अनुसार भोजन कराने के लिए मां के शुक्रगुजार हैं। कहते हैं, मां ने कभी किसी चीज की कमी का अहसास नहीं होने दिया। पिता सुभाष सिंह ठेकेदार हैं। वे भी मनोबल बढ़ाते रहते हैं। सौरभ अपने दादा को आदर्श मानते हैं। बताया कि दादा रामरतन सिंह अपने जमाने में पहलवान रहे थे। कहा, उनका मुगदर भांजते हुए ही बड़ा हुआ हूं। इधर, दादा भी पोते की सफलता से काफी प्रसन्न हैं। कहा कि सौरभ ने अपने खानदान की विरासत को आगे बढ़ाया है। उनसे भविष्य में काफी उम्मीद है।

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