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    पावापुरी अस्पताल में वार्ड बॉय की कमी, मरीजों के परिजन ही स्ट्रेचर ढोने को मजबूर

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 02:50 PM (IST)

    पावापुरी अस्पताल में वार्ड बॉय की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। मरीजों को स्ट्रेचर खुद ही ढोना पड़ता है, और रेफर करने पर एंबुलेंस तक ले जाने की जिम्मेदारी भी परिजनों पर ही होती है। शिकायत के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगों में नाराजगी है। हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें खुद ही स्ट्रेचर ढूंढना पड़ता है।

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    पावापुरी अस्पताल में वार्ड बॉय की कमी

    संवाद सूत्र, गिरियक। पावापुरी अस्पताल की लचर व्यवस्थाओं से हर कोई परेशान हैं, जिससे यहां आने वाले लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। इसके बाद भी व्यवस्थाओं को सुधारने पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं और आमजन परेशान हैं। अस्पताल में दर्जनों पोस्टिंग है, लेकिन जब मरीज को जरूरत पड़ती है तो कोई भी वार्ड बॉय मदद के लिए सामने नहीं आता है, जिससे लोगों को स्वयं ही स्ट्रेचर लाकर मरीजों के लिए भर्ती कराना पड़ता है।

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    यहां तक कि अस्पताल के गार्ड को अपनी ड्यूटी छोड़कर स्ट्रेचर ढूंढना पड़ता है। ऐसा आए दिन देखने के लिए मिलता है कि जब कोई भी एक्सीडेंट होता है या फिर कोई गंभीर बीमारी का मरीज इमर्जेंसी या ओपीडी आता है, तो मरीज के परिजन ही स्ट्रेचर लाकर उसे वार्ड तक पहुंचाते हैं। 

    एंबुलेंस तक परिजनों को लेकर आना पड़ता है

    रेफर होने की स्थिति में भी एंबुलेंस तक परिजनों को लेकर आना पड़ता है, जबकि यह काम वार्ड बॉय का रहता है। यहां पर लगभग हर दिन ऐसी स्थिति देखने के लिए मिलती है। 

    पावापुरी मेडिकल कॉलेज जहां हाल ही में दर्जनों वॉर्ड बॉय की भर्तियां हुई। इससे पहले भी दर्जनों की संख्या में वार्ड बॉय अस्पताल में मौजूद थे। लेकिन तब भी स्थिति बदतर थी और आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। 

    कई बार मौखिक शिकायत 

    मरीजों व उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन को कई बार मौखिक शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इस अस्पताल में प्रतिदिन नालंदा शेखपुरा नवादा के हजारों मरीज अपना इलाज कराने अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन उन्हें खुद ही स्ट्रेचर पहले ढूंढना पड़ता है फिर मरीज को लिटाना पड़ता है उसके बाद रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। 

    कई बार अस्पताल के प्रबंधन से इसकी शिकायत की गई लेकिन उनके कान में जू नहीं रेंगता, मरीजों व उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन को कई बार मौखिक शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।