नालंदा में संस्थागत प्रसव में लापरवाही, 429 आशा कार्यकर्ताओं से मांगा स्पष्टीकरण
संस्थागत प्रसव में लापरवाही 429 आशा कार्यकर्ताओं से मांगा स्पष्टीकरणचार माह तक शून्य संस्थागत प्रसव का आंकड़ा सामने आने पर डीएचएस के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने सभी प्रभारियों को निर्देश दिया है कि संबंधित आशा कार्यकर्ताओं से स्पष्टीकरण लिया जाए। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ(नालंदा)। जिले में कार्यरत 2500 आशा कार्यकर्ताओं में से 429 पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू की है। विभागीय समीक्षा में पाया गया कि अप्रैल से जुलाई 2025 तक इन कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यक्षेत्र में एक भी प्रसव को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया।
चार माह तक शून्य संस्थागत प्रसव का आंकड़ा सामने आने पर डीएचएस के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने सभी प्रभारियों को निर्देश दिया है कि संबंधित आशा कार्यकर्ताओं से स्पष्टीकरण लिया जाए। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी।
आशा कार्यकर्ता ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाती हैं। इनकी जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, परिवार नियोजन, बीमारियों की पहचान और प्रसव को अस्पताल तक पहुंचाने की होती है। इसके बदले सरकार की ओर से इन्हें प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
डीपीएम ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना मातृ एवं शिशु मृत्यु दर घटाने का सबसे प्रभावी तरीका है। आशा कार्यकर्ताओं की लापरवाही से स्वास्थ्य विभाग की छवि प्रभावित हो रही है। इस कार्रवाई से जिले की आशा कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया है और बाकी कार्यकर्ताओं को भी चेतावनी मिल गई है कि यदि वे लापरवाह रहेंगे तो उन पर भी इसी तरह सख्त कदम उठाया जाएगा।
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