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    Nalanda Vidhan Sabha Seat 2025: सात निश्चय का दिख रहा प्रभाव, पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की दरकार

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 06:01 PM (IST)

    बिहारशरीफ में खेती-किसानी की स्थिति भी संतोषजनक हैं। कई किसान नकदी फसल उपजा कर खेती को लाभ का सौदा बनाए हुए हैं। विधि-व्यवस्था की स्थिति भी संतोषजनक है। दरकार पर्यटन सुविधाओं के अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप विस्तार की है ताकि यह ख्याति व रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम बन सके।

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    पंचाने नदी पर बन रहे रिवर फ्रंट का माडल व ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार

    जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ(नालंदा)। शिक्षा व लोकहितकारी शासन के क्षेत्र में विश्व स्तर पर नालंदा के गौरवशाली अतीत की लकीर ही इतनी बड़ी है कि उससे आगे निकलना तो दूर समतुल्य होना भी मुश्किल है। हालांकि सरकार के सुशासन व सात निश्चय योजना का प्रभाव यहां दिखता है। गांव-टोले पक्की सड़क से जुड़ गए हैं, बिजली व पानी की पुरानी समस्या तो लोग भूल ही गए हैं।

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    खेती-किसानी की स्थिति भी संतोषजनक हैं। कई किसान नकदी फसल उपजा कर खेती को लाभ का सौदा बनाए हुए हैं। विधि-व्यवस्था की स्थिति भी संतोषजनक है। दरकार, पर्यटन सुविधाओं के अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप विस्तार की है, ताकि यह ख्याति व रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम बन सके।

    नालंदा जिले के नालंदा विधानसभा क्षेत्र की पहचान विश्व धरोहर की सूची में शामिल प्राचीन नालंदा महाविहार के भग्नावशेषों से है। जिसका निर्माण पांचवीं शताब्दी में गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने कराया था। इसे हर्ष व पाल वंश के शासकों का भी संरक्षण प्राप्त था। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सातवीं शताब्दी में इस महाविहार में विद्यार्थी व शिक्षक के रूप में व्यतीत किए थे। उन्होंने यात्रा विवरण में लिखा है कि यहां देश-विदेश के लगभग दस हजार विद्यार्थी अध्ययनरत थे और उनके अध्यापन के लिए दो हजार शिक्षक थे। बेहद समृद्ध पुस्तकालय भी था।

    स्पष्ट है. छात्र-शिक्षक अनुपात पांच-एक का था। इस मानक को आज भी देश प्राप्त नहीं कर सका है। आचार्य शीलभद्र, धर्मपाल, गुणमति, स्थिरमति, नागार्जुन, आर्यभट्ट व धर्मकीर्ति जैसे उद्भट विद्वान शिक्षक थे। आज भी नालंदा विधानसभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के बड़े संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी व नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी स्थापित हैं।

    प्रसिद्ध सूर्यपीठ बड़गांव व ऐतिहासिक गिद्धी सरोवर समेत नालंदा महाविहार के कालखंड के सरोवरों की बड़ी संख्या विद्यमान है। जिन्हें गत पांच वर्षों में सहेजा, संवारा गया है। वैसे सुंदरीकरण की अभी भी आवश्यकता है। क्षेत्र के अंतर्गत बिहारशरीफ प्रखंड के कोसुक गांव में रिवर फ्रंट का निर्माण कराया जा रहा है। यह मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। क्षेत्र में पौधारोपण और हरित क्षेत्र विस्तार पर भी जोर दिया गया है।

    लगातार छह बार से जीतते आ रहे श्रवण कुमार

    नालंदा विधानसभा क्षेत्र से श्रवण कुमार लगातार छह बार से चुनाव जीत रहे हैं। वे ग्रामीण विकास मंत्री हैं। 1995 में समता पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते और तब से अब तक लगातार विजेता हैं। वे अपनी पार्टी जदयू में पकड़ और जनता से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। जनमानस में व्याप्त श्रवण कुमार की कथा के अनुरूप इनसे आमजन की अपेक्षाएं भी बड़ी हैं। डबल इंजन की सरकार होने के नाते उनसे केंद्र के माध्यम से भी स्थानीय रेलवे स्टेशन के धरोहर के तौर पर उन्नयन कराने की अपेक्षा है। वहीं नालंदा-पावपुरी जैन सर्किट रोड से स्टेशन तक सड़क निर्माण भी आवश्यक है। यह वही रेलवे स्टेशन है, जहां देवानंद व हेमामालिनी अभिनीत मूवी ‘जानी मेरा नाम’ का एक दृश्य फिल्माया गया था। दिल्ली व कोलकाता जैसे महानगरों से विश्व धरोहर के अवलोकन के लिए पहुंचने का सुगम माध्यम भी है।

    एक नजर में विधानसभा क्षेत्र

    नूरसराय प्रखंड की 17 पंचायत, बेन प्रखंड की नौ पंचायत, बिहारशरीफ प्रखंड की छह पंचायत, बिहारशरीफ नगर निगम के कुछ क्षेत्र, सिलाव प्रखंड की दो पंचायत मिलाकर यह विधानसभा क्षेत्र है।

    मतदाताओं की संख्या

    पुरुष 1,71,804
    महिला 1,55020
    थर्ड जेंडर 16
    कुल मतदाता 3,26,847

         

          हर कोने का किया विकास, अधूरे कार्य भी होंगे पूरे

    क्षेत्र के हर कोने में विकास कार्य किया है। किसी की अनदेखी नहीं की। कुछ काम अधूरे हैं, जिन्हें जल्द पूरा कर लिया जाएगा। नालंदा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी प्रखंड कार्यालयों नूरसराय, वेन, राजगीर, सिलाव और बिहारशरीफ के लिए नए और स्थाई भवन बनाए जा चुके हैं। इससे प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ी है। प्रत्येक पंचायत में पंचायत सरकार भवन और लगभग सभी सरकारी स्कूलों के लिए भवन निर्माण पूरा हो चुका है। थाना भवनों का निर्माण करवाया गया है। लगभग सभी गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ दिया गया है। कुछ टोलों में सड़क निर्माण अभी जारी है। सिंचाई के लिए नहरों, पोखरों और पईन की उड़ाही कराई गई है। राजगीर प्रखंड में शासी नदी की उड़ाही कराई गई। इससे जलजमाव की समस्या कम हुई है। कई गांवों में खेल मैदान बनवाए।

    श्रवण कुमार, मंत्री

           क्या कहते हैं लोग

    ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का कार्यकाल संतोषजनक रहा। प्रखंड कार्यालय का नया भवन बना। गांवों में पक्की सड़कों का निर्माण हुआ। सड़कों की मरम्मत भी होती है। आवागमन सुलभ हुआ है। प्रहलाद नगर में सड़क पर नाला का पानी बहता था। नाला बनने से समस्या दूर हुई।

    मोती प्रसाद, किसान, प्रहलाद नगर, नूरसराय

    सड़क, बिजली, पानी की समस्या दूर हुई, लेकिन अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगा। नूरसराय प्रखंड में डिग्री कालेज नहीं है। 

    शुभम कुमार, स्नातक छात्र, रतनपुरा, नूरसराय

    ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार लगातार तीस वर्षों से नालंदा विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन नूरसराय बाजार में संगत पर और गोदाम गबड़ा तालाब को अतिक्रमण और गंदगी से नहीं मुक्त करा सके। उन्हें जनहित की समस्या नहीं दिखती।

     दिलीप मंडल, शेरपुर, नूरसराय

    ग्रामीण विकास मंत्री नूरसराय बाजार का पानी निकासी की समस्या दूर नहीं करा सके। चारों तरफ गंदगी का अंबार है। पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है। उन्होंने कुछ खास लोगों और गांवों का विकास किया। किसान और मजदूरों का कुछ भी भला नहीं किया।

    राजेश्वर प्रसाद, जलालपुर, नूरसराय