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    ग्लोबल विवि के रूप में स्थापित होगा नालंदा विवि : प्रो.सुनैना सिंह

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 13 Feb 2020 06:15 AM (IST)

    पदभार संभालने के बाद लगभग ढाई साल के बाद पहली बार नालंदा विवि की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह पत्रकारों से मुखातिब हुई। विवि के नये परिसर के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में कुलपति ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला था तो उस समय 0.3 प्रतिशत काम शुरू हुआ था। मेरा सकंल्प ही था कि जब तक नए परिसर में पढा़ई शुरू नहीं हो जाती तब तक मीडिया के सामने नहीं आउंगी। चुकी आज नालंदा विवि ने अपने संकल्प को पूरा किया तो लगा कि मीडिया में विकास कार्यों की चर्चा होनी चाहिए।

    ग्लोबल विवि के रूप में स्थापित होगा नालंदा विवि : प्रो.सुनैना सिंह

    जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: पदभार संभालने के बाद लगभग ढाई साल के बाद पहली बार नालंदा विवि की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह पत्रकारों से मुखातिब हुई। विवि के नये परिसर के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में कुलपति ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला था तो उस समय 0.3 प्रतिशत काम शुरू हुआ था। मेरा संकल्प ही था कि जब तक नए परिसर में पढा़ई शुरू नहीं हो जाती तब तक मीडिया के सामने नहीं आउंगी। चुकी आज नालंदा विवि ने अपने संकल्प को पूरा किया तो लगा कि मीडिया में विकास कार्यों की चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नये सत्र में कक्षाएं नए परिसर में शुरू हो चुकी है। विवि में पढ़ाई के दौरान शैक्षणिक कार्यों में विवि की जीवंतता एवं समग्र विकास को ध्यान में रखकर की जा रही है। नए सत्र में मैनेजमेंट स्कूल को भी स्थापित करने की मंजूरी मिल चुकी है। सस्टेनेवल डेवलपमेंट विषय में एमबीए कोर्स के आवेदन उपलब्ध हो चुके हैं। 31 मार्च तक इसकी आखिरी तीथि निर्धारित की गई है। वही जनवरी में पीएचडी की पढ़ाई शुरू हो चकी है। जिसमें 13 छात्रों ने दाखिला लिया है। वर्तमान में क्लास, लैब,प्रशासनिक भवन व ऑडिटोरियम बनकर तैयार है। 2021 के अगस्त महीने तक भवन निर्माण का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम का सपना कि विवि अपने गौैरवशाली अतीत को पुन: स्थापित करे, उसे पूरा करने में लगे हैं। यह विवि ग्लोबल विवि के रूप में उभरेगा। आज भी 60 प्रतिशत विदेशी छात्र विवि में पढ़ाई कर रहे हैे। आसान इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज के तहत नालंदा विवि नोडल संस्थान होने के कारण एमईए लागू करने तथा नए अनुसंधान केन्द्र खोलने की मंजूरी मिल चुकी है। यह विवि अपने आप में अनूठा है। यहां मौजूदा समय में चार स्कूल चल रहे हैं। नालंदा विवि के नए परिसर में आवासीय व स्कूल के भवनों का निर्माण काम तेजी से चल रहा है। कुलपति ने बताया कि मास्टर कार्यक्रम, लघु कार्यक्रम, स्कूलों और अनुसंधान केंद्रों के भीतर डॉक्टरेट कार्यक्रमों और पोस्ट-डॉक्टरल कार्यक्रमों के साथ एक नया शैक्षणिक ढांचा बनाया गया है। यहां अनेक विभाग, स्कूल और अनुसंधान केंद्र होंगे। इस पाठ्यक्रम में फाउंडेशन, ब्रिज, एडवांस और स्पेशलाइज्ड कोर्स शामिल हैं, जिसमें नए ज्ञान के साथ-साथ भारत-आशियान संबंध को भी केंद्रित किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा काठमांडू में चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए कुलपति ने बताया कि कला, संस्कृति पर शोध के लिए और नालंदा विश्वविद्यालय में बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र स्थापित करने को बल दिया गया है। विश्वविद्यालय ने पहले ही बंगाल की खाड़ी के अध्ययन केंद्र की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय संबंध व शांति के लिए इसे एक प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह विवि विश्व के तमाम विवादों के निपटारा का केंद्र बन सके, इसके लिए बाद-विवाद से अच्छा है कि इसे एक प्रयोगशाला के रूप में तैयार किया जा सके। संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण कोर्स व कंटेंट्स रखता है मायने

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    एक सवाल के जवाब में कुलपति ने कहा कि संख्या से ज्यादा महत्वपूर्ण कोर्स व कंटेंट्स है। जिसे देखकर ही छात्र नालंदा विवि की ओर आकर्षित होंगे। क्योंकि कोई भी छात्र विवि में दाखिला लेने से पहले छात्रों की संख्या नहीं पूछेगा। महानगर व विदेशों को छोड़कर कोई क्यों आएगा, विवि उसपर काम करती है। फिर भी जहां तक छात्रों का सवाल है फाउंडेशन, ब्रिज, एडवांस और स्पेशलाइज्ड कोर्स में कुल 750 छात्र है। जिसमें 50 प्रतिशत महिला व 30 प्रतिशत भिक्षु शामिल है। जब तक भवन पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक अधिक छात्रों का नामांकन फिलहाल संभव नहीं है।

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    नेट जीरो का सबसे बड़ा मॉडल है नालंदा विवि

    कुलपति ने बताया कि नेट जीरो का सबसे बड़ा मॉडल पूरे विश्व में नालंदा विवि है। हालांकि अमेरिका में भी नेट जीरो भवन बनाया गया है लेकिन नालंदा विवि की तरह नहीं है। इस विवि का पूरा भवन ही नेट जीरो है। कुलपति ने कहा कि हमारा विवि परिसर पूरी तरह से नेट जीरो के तर्ज पर निर्मित है। विवि परिसर के झील से निकाली जाने वाली मिट्टी से ईंट का निर्माण कर उसे भवन निर्माण में लगाया जाएगा। यह ईंट काम्प्रेसिव अर्थ लॉक सिस्टम से बनाया गया है । वहीं रैन हार्वेसटिग सिस्टम से यहां जल भंडारण, बायो गैस व बायो फिल तथा अपने विवि परिसर में प्राकृतिक स्त्रोत से बिजली का निर्माण किया जा रहा है। जिससे विभिन्न उर्जा की स्वयं निर्माण कर विवि आत्मनिर्भर रहेगी।

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