बुद्ध विरासत की मजबूत कड़ी है महाकश्यप,सहेजने की दरकार
शिवशंकर प्रसादसिलाव मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलाव गांव। ऐसे तो पूर ...और पढ़ें

शिवशंकर प्रसाद,सिलाव: मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलाव गांव। ऐसे तो पूरे विश्व में खाजा के लिए मशहूर है लेकिन गौतम बुद्ध व महाकश्यप की मिलन स्थली के कारण इस जगह का ऐतिहासिक महत्ता अधिक है। बता दें कि महाकश्यप भगवान बुद्ध के तीन सबसे प्रिय शिष्यों में एक थे। मगध के महापिटठा गांव में जन्मे महाकश्यप भगवान बुद्ध के तीन शिष्य सारिपुत्र, मोंगलियान में एक है। बुद्ध के अनुयायी के लिए तीनों शिष्य काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पाली लिटरेचर के अनुसार भगवान बुद्ध की मृत्यु के छह महीने बाद हुए कौंसिल की पहली अध्यक्षता महाकश्यप ने की थी। सिलाव ही संभवत: वह जगह रही होगी, जहां बुद्ध व कश्यप की मुलाकात हुई थी। करीब नौ वर्ष पहले तत्कालीन डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने यहां उनकी स्मृति को पार्क के रूप में संजोने की घोषणा की थी। लेकिन आज तक उस पर कोई काम नहीं हो सका। घोषणा को सरकारी रिकार्ड तक में जगह नही मिल पाई। विरासत के सरंक्षण पर काम कर रहे दीपक आनंद ने बताया कि 1934 में पुरातत्व विभाग ने इस मूर्ति की खोज की थी जिसका जिक्र ऐपिग्रेफिका इंडिका के बाल्युम 25 में किया गया है। लेकिन जानकारी के अभाव में धीरे-धीरे लोगों का ध्यान हटता चला गया। 20 वर्ष पूर्व खुदाई के क्रम में ग्रामीणों को महाकश्यप की खंडित मूर्ति मिली थी, जिसे ऊँ शिवालय में स्थापित किया गया। जब इसकी सूचना मिली तो उन लोगों ने वहां जाकर महाकश्यप की मूर्ति होने की पुष्टि की। दीपक आनंद ने बताया कि महाकश्यप के जन्म स्थल को लेकर शोध चल रहा है। लोग महापिटठा गांव को ही महाकश्यप की जन्म स्थली मानते हैं। -----------------------
अनदेखी का शिकार है महत्वपूर्ण विरासत
बता दें कि इस स्थल के संरक्षण व सुंदरीकरण के लिए पूर्व विधायक रवि ज्योति ने विधान सभा में प्रश्न काल में सवाल उठाया था, लेकिन पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन गंभीर नहीं दिखी। 48 डिसमिल एरिया में फैली यह जगह आज भी असुरक्षित है ।
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विरासत के बहाने ग्रामीण पर्यटन के विस्तार की थी योजना दीपक आनंद ने कहा कि जब तत्कालीन डीएम संजय अग्रवाल ने महाकश्यप के नाम से पार्क बनाने की घोषणा की थी तो गांव वालों को ग्रामीण पर्यटन विकसित करने की उम्मीद जगी थी। सोच थी कि कि इस तरह से लोगों को महाकश्यप को जानने का मौका मिलेगा। विरासत के बहाने ग्रामीण पर्यटन का विस्तार भी होगा। वह अपने देश में इसका प्रचार-प्रसार करेंगे। दीपक आनंद ने उम्मीद जतायी है कि बुद्ध हेरिटेज इससे और विकसित होगा। तीनों प्रमुख शिष्य मगध के है जो सबसे बड़ी बात है। हर साल सारिपुत्र, मोंगलियान एवं महाकश्यप के नाम पर इवेंट किया जाता है ताकि लोग इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने में हमारे सहयोगी बन सके। इसी बहाने खाजा उद्योग भी विकसित होगा।

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