Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजा जरासंध ने की थी महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर की स्थापना

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 30 Jul 2019 11:27 PM (IST)

    पौराणिक मठ मंदिरों की आध्यात्मिक नगरी राजगीर के विभिन्न शिवालयों में महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर की महिमा अपरंपार है। जो सैकड़ों फुट ऊंचे वैभारगिरि पर्वत के शिखर पर स्थित है।

    राजा जरासंध ने की थी महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर की स्थापना

    राजगीर : पौराणिक मठ मंदिरों की आध्यात्मिक नगरी राजगीर के विभिन्न शिवालयों में महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर की महिमा अपरंपार है। जो सैकड़ों फुट ऊंचे वैभारगिरि पर्वत के शिखर पर स्थित है। जहां श्रावणी माह के अलावा सालों भर मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए शिवभक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में शिव के अन्यन भक्त रहे मगध साम्राज्य के सम्राट राजा जरासंध ने किया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ------------------------------------------

    क्या है इतिहास

    लगभग 5 ह•ार वर्ष पूर्व स्थापित इस मंदिर की प्राचीन दीवारें आज भी महाभारत काल का प्रत्यक्ष प्रमाण है। राजा बृहद्रथ ने संतान प्राप्ति के लिए यहां शिवलिग की स्थापना कर पूजा पाठ किया करते थे। शिवकृपा से पुत्र के रूप में जरासंध उनके राजमहल में जन्म लिया। तत्पश्चात बृहद्रथ के स्वर्गवास के बाद जरासंध ने राजगद्दी संभालते ही पिता के स्थापित इस शिवलिग को मंदिर से आच्छादित किया और राज्य व प्रजा की खुशहाली व शांति के लिए यही कठोर तप भी किया था। तप से प्रसन्न हो भगवान शिव ने जरासंध को पशुपति अस्त्र और मल्ल युद्ध में अपराजित रहने तथा सहस्त्र हाथियों के बल का वरदान दिया था। आज भी 50 इंच मोटी दीवार तथा 12 सिद्ध स्तंभों से लैस यह मंदिर भगवान शिव और जरासंध का साक्षात गवाह है। वायु पुराण में जिक्र है कि मगध नरेश जरासंध इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोल तालाब में रोजाना स्नान के बाद इस मंदिर के शिवलिग का जलाभिषेक कर पूजा पाठ करते थे। धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व का यह धरोहर आज पुरातत्व विभाग के अधीनस्थ है। जहां प्रतिदिन ह•ारों तीर्थयात्री पूजा पाठ करते हैं। महाभारत काल से ही यह मंदिर धार्मिक प्रसिद्धि का केंद्र रहा है। जहां आज भी मान्यता है कि बाबा औघड़ दानी के इस मंदिर में मांगी गयी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। सावन माह में बिहार एवं अन्य राज्यों के अलावा नेपाल से कांवरियों के जत्थे सहित स्थानीय लोग भी प्रतिदिन ह•ारों की संख्या में यहां जलाभिषेक करते हैं और सुख शांति की कामना करते हैं। जिसमें स्त्री, पुरुष, युवा, युवतियां के अलावा बच्चे भी इस पर्वत की चढ़ाई कर बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर में शिवलिग दर्शन तथा पूजा अर्चना कर धार्मिक लाभ उठा रहे हैं।

    -------------------------------------------------------

    तैयारियां अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा के तत्वावधान में आगामी 5 अगस्त तृतीय सोमवारी को महाजलाभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। जिसमें बिहार सहित अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। जबकि कुछ स्थानीय लोगों द्वारा सावन माह भर रुद्रामहाभिषेक आदि का भी आयोजन किया जाता है। प्रधान पुजारी श्रवेंदर उपाध्याय बताते हैं कि जरासंध द्वारा स्थापित इस महाभारतकालीन मंदिर की अपरंपार महिमा का धार्मिक लाभ उठाकर असंख्य शिवभक्तों का जीवन सफल हुआ है। सावन माह के अलावा भी शिवभक्तों का जमावड़ा सालों भर लगा रहता है। वहीं रात में यहां जप, तप, मंत्रोच्चारण में लीन साधु संतों के अलावा तांत्रिक विद्या तथा सिद्धि प्राप्ति के लिए औघड़ बाबाओं का अनुष्ठान जारी रहता है। उन्होंने कहा कि महाभारत युग का यह मंदिर जर्जर हालत में है। जिसका सौंदर्यीकरण होना चाहिए। अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती ने बताया कि ऐतिहासिक महत्व के इस पौराणिक स्थल की उपेक्षा से इस मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। 5 अगस्त तृतीय सोमवारी को अखाड़ा परिषद की ओर से जलाभिषेक का आयोजन किया गया है। जिसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी है। जिसमें बिहार सहित अन्य राज्यों के लोगों के साथ प्रबुद्ध नागरिक शामिल होंगे। जलाभिषेक कार्यक्रम के बाद मंदिर परिसर में मानव श्रृंखला का निर्माण कर इस धरोहर के संरक्षण सह जीर्णोद्धार का संकल्प लिया जाएगा। जिसके लिए राज्य व केंद्र सरकार को विशेष ज्ञापन सौंपा जाएगा।

    अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप