‘दवाई 280 तरह की, डॉक्टर सिर्फ 3’, कतरीसराय PHC में पुरुष डॉक्टर को बीमारी नहीं बता पाती महिला मरीज
कतरीसराय पीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी उजागर हुई है। अस्पताल में 280 प्रकार की दवाइयां हैं, लेकिन चिकित्सकों की भारी कमी है। महिला चिकित्सक न होने से महिला मरीजों को परेशानी होती है। कई पद खाली हैं और एक एएनएम पद पर होते हुए भी अनुपस्थित है। चिकित्सक और कर्मचारी कमी के बावजूद मरीजों को इलाज के लिए तैयार रहते हैं।

कतरीसराय PHC में सिर्फ 3 डॉक्टर
संवाद सूत्र, कतरीसराय। सरकार चाहे जितना भी स्वास्थ्य सुविधाएं सुबे में देने का दंभ भरते रहे। उनके ही विभागीय कर्मचारी विभाग की मिट्टी पलित करने में लगे रहते है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला कतरीसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कतरीसराय में।
एक तरफ जहां सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए संकल्पित नजर आ रहा है। वहीं विभाग कि व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत अपनी कहानी खुद ब्यान करते नजर आ रहा है । जी हां पीएचसी का हाल ये है ।
स्टोर में दो सौ अस्सी तरह की दवाई
स्टोर में दो सौ अस्सी तरह की दवाई मौजूद है। किन्तु प्रि कैप्सन लिखने वाले चिकित्सक तथा सहयोग करने वाले कि कर्मीयों एवं चिकित्सकों कि घोर कमी है। बताते चलें कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने के चलते छह वेड इस अस्पताल में है। जबकि सरकारी मानक के अनुसार सात चिकित्सक कि आवश्यकता है।
वहीं मात्र तीन चिकित्सक है। वहीं एक चिकित्सक प्रतिनियुक्ति पर है । तथा एक एक दांत चिकित्सक है। साथ ही दस नर्स तथा कम्पाउन्ड होना है। जिसमें छह नर्स है। कम्पाउन्डर एक भी नहीं उन्हीं में से एक एएनएम महापति देवी है। जो पदस्थापना से लेकर आज तक पीएचसी में अपने कार्य पर नहीं आई है। जब उनपर कोई कार्रवाई कि बात होती है तो। बचाव करने के लिए नेताओं का फोन आने लगता है।
सरकारी व्यवस्था में जवाबदेही की कमी
एएनएम का चार, पैथोलॉजिस्ट का एक फार्मासिस्ट का एक नन मेडिकल स्टाफ का एक, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों का दो पद पद रिक्त हैं। जबकि अनुबंध पर एक लेखापाल एक बीसीएमआई एक बीएचएम तथा एक फैमिली प्लानिंग का कॉन्सेलेर भी है ।
वहीं सर्जरी,एनेथिसिया , पिडिया तथा जेनरल फिजिशियन का दो पद रिक्त है। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का है, बल्कि यह सरकारी व्यवस्था में जवाबदेही की कमी को भी दर्शाता है।
प्रखंड स्तरीय अस्पताल होने के नाते, यहां की व्यवस्थाएं अन्य अस्पतालों के लिए एक उदाहरण होनी चाहिए, लेकिन यहां की स्थिति चिंताजनक है। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को सख्त हिदायत दी जानी चाहिए कि वे नियमों का सख्ती से पालन कराएं।
इसके साथ ही, आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए, ताकि जरूरतमंद लोगों का ईलाज हो परेशानी नहीं । चिकित्सक तथा नर्सीग स्टाफ कि कमी अस्पताल प्रशासन के दावों की पोल खोलती है।
महिला चिकित्सक नहीं रहने से परेशानी
एक महिला मीना देवी ने अपनी पीड़ा बताई कि महिला चिकित्सक नहीं रहने की वजह से बहुत सा रोग पुरुष चिकित्सक को नहीं बता सकते हैं इस से भी परेशानी होती है।
टिंकू कुमार कहते हैं कि चिकित्सक की कमी रहने से हम लोगों को बहुत ही परेशानी होती है। कभी कभी तो चिकित्सक नहीं रहने पर साधारण सी बात पर रेफर कर दिया जाता है।
वहीं डॉ प्रभात रंजन कहते है कि चिकित्सकों तथा अन्य स्टाफ की कमी के बाद भी हमलोगों मरीजों को हर तरह से इलाज के लिए तैयार रहते है। सभी लोग अपने समय के अतिरिक्त पीएचसी में समय देते है ताकि इस का व्यवस्था बनी रहे। मरीजों को इलाज में परेशानी नहीं हो ।
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. पिंकी वर्णवाल ने बताया कि जितना भी कर्मचारी इस पीएचसी में है। सभी लोग अपने-अपने कार्य को निष्ठा पूर्वक कर रहे हैं। ताकि यहां आने वाले जरूरतमंद लोगों को परेशानी न हो।

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