Kailash Kher: क्या कभी अंबर से सूर्य बिछड़ता है...; राजगीर की वादियों में गूंजे कैलाश खेर के गाने, झूमते रहे श्रोता
प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर ने राजगीर की वादियों में अपनी आवाज से समां बांधा। उन्होंने अपने लोकप्रिय गानों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कैलाश खे ...और पढ़ें

तेरी दीवानी गाने की प्रस्तुति के साथ राजगीर महोत्सव में दर्शकों का अभिवादन स्वीकार करते कैलाश खेर। जागरण
संवाद सहयोगी, राजगीर। Kailash Kher in Rajgir Festival: अंतर्राष्ट्रीय राजगीर महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या की शाम कैलाश खेर की सुफियाना आवाज के नाम रही।
'मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत कर उन्होंने राजगीर की वादियों में सूफियाना रंग घोल दिया। तौबा-तौबा रे तेरी सूरत माशा अल्लाह वे तेरी सूरत तथा रंग देंगे रंग देंगे पिया रंग के रंग दे.. की शुरुआत की तो पूरा सभागार जोश और उमंग से भर गया।
तू जाने ना कैसे बताऊं मिलके भी ना हम मिले मीलों के है फासले गीत से उन्होंने महफ़िल में संजीदगी भर दी। विश्वप्रसिद्ध फिल्म बाहुबली के वीर रस से लबरेज गीत कौन है वो कौन कहां से वो आया, क्या कभी अंबर से सूर्य बिछड़ता है जय जयकारा स्वामी देना साथ हमारा, से टीम बैंड कैलाशा की जुगलबंदी पर दर्शकों की तालियां भी बजती रही है।
दीवानी-दीवानी पर झूम उठे श्रोता
कैलाश खेर ने अपनी सुप्रसिद्ध लोकप्रिय गीत के तेरी दीवानी दीवानी, नन्ही सी जान गीत तुम्हारे यूं गूंजे सदा सहित अपने अन्य गीतों से दर्शकों को खूब झुमाया।
इस दौरान उन्होंने फिल्मी, गैर-फिल्मी एवं भजन संगीत से शीतलहरी में कैलाश ने गर्माहट भर दी। तेरी दीवानी और अल्लाह के बंदे जैसे कैलाश के लोकप्रिय सूफियाना अंदाज के लोकगीतों से दर्शक मंत्रमुग्ध होते रहे।
इससे पूर्व मंच पर पहुंचते हीं कैलाश खेर ने कहा कि ज्ञान की भूमि नालंदा और परम शांति की नगरी राजगीर दोबारा आना उन्हें बहुत अच्छा लगा। बहुत कृतज्ञ महसूस कर रहे हैं।
बिहार बदल रहा, कैसे वह भी बताया
उन्होंने कहा कि बिहार बदल रहा है, और बदलते बिहार की तस्वीर राजगीर महोत्सव 2025 के इस आयोजन में देखने को मिल रहा है। उन्होंने बिहार सरकार द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछली बार जब पटना से राजगीर पहुंचने में पांच घंटे लगे थे, लेकिन इस बार दो घंटे से भी कम समय में आपके सामने स्टेज पर खड़ा हूं।
उन्होंने कहा कि बिहार वासियों में आतिथि देवो भव: का भाव है। राजगीर के आतिथ्य सत्कार से मैं दोबारा अभिभूत हो रहा हूं। यह मनीषियों की धरती है। सर्वधर्म समभाव व मठ मंदिरों की इस आध्यात्मिक नगरी राजगीर में जन्म लेना भी परम सौभाग्य माना जाता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।