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    ह्वेनसांग नालंदा में चार साल तक पढ़े थे : डॉ. श्रीकांत

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    Updated: Mon, 13 Feb 2017 08:06 PM (IST)

    नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय नालंदा द्वारा ह्वेनसांग स्मृति भवन का 10वां वर्षगांठ मनाया गया।

    ह्वेनसांग नालंदा में चार साल तक पढ़े थे : डॉ. श्रीकांत

    नालंदा। नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय नालंदा द्वारा ह्वेनसांग स्मृति भवन का 10वां वर्षगांठ मनाया गया। इस अवसर पर महाविहार के अध्यापकों ने कहा की प्रसिद्ध चीनी यात्री सह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों ने ह्वेनसांग के कारण ही विश्व को ज्ञान देने वाला प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का स्पष्ट भौतिक स्वरूप आज दुनिया के सामने आया है। यह स्थल ह्वेनसांग का कर्मस्थल होने कारण बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए आज महान तीर्थ स्थल है। महाविहार के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत ने कहा की ह्वेनसांग नालंदा में चार साल तक रहकर अध्ययन किया और उन्हें इसी विद्यालय में एक वर्ष तक आचार्य वन्नेवर का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा की ह्वेनसांग ने यहां से संस्कृत में रचित सूत्र को अपने देश ले जाकर चाइनीज भाषा में अनुवाद किया था। वहीं से अन्य देश जापान, कोरिया, मंगोलिया, अमेरिका सहित अन्य देशों तक पहुंच गया। आज बड़े-बड़े विद्वान उनके कारण ही बुद्धिस्म पर शोध कर रहे हैं। ह्वेनसांग के कारण ही दुनिया के बुद्धिष्ट भारत को तीर्थ मानते हैं। मौके पर विवि के रजिस्ट्रार डॉ. सुनील प्रसाद सिन्हा ने कहा की ह्वेनसांग की अस्थियां आज भी सियान, छूगंदु जापान, थीयानचीन के साथ भारत के नव नालंदा महाविहार में रखी है। जिसे पटना के संग्रहालय में रखा गया है। ह्वेनसांग के डायरी के आधार पर ही जेनरल क¨लगन बौद्ध स्थलों की खुदाई करवाकर बहुमूल्य वस्तुओं को अपने साथ ब्रिटेन ले गए। कार्यक्रम की शुरूआत बौद्ध भिक्षुओं के मंगलपाठ से की गई। इस अवसर पर महाविहार के सभी शिक्षक, छात्रों मौजूद थे।

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