Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिलसा कभी किसी खास दल की नहीं रही जागीर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 03 Oct 2020 05:04 AM (IST)

    उपेंद्र कुमार हिलसा (नालंदा ) नालंदा जिले का महत्वपूर्ण हिलसा विधानसभा सीट कभी किसी खास दल की जागीर नहीं रही। हालांकि यहां के लिए एक खास बात रही है कि अबतक हुए चुनाव में यादव एवं कुर्मी जाति के ही प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। 1957 में हिलसा विधानसभा का गठन के बाद हुए चुनावों में कभी कांग्रेस तो कभी जनसंघ के प्रत्याशी जीत दर्ज करते रहे। लेकिन 1990 के चुनाव से यहां कांग्रेस पार्टी पटल से गायब ही हो गई।

    हिलसा कभी किसी खास दल की नहीं रही जागीर

    उपेंद्र कुमार, हिलसा (नालंदा ) : नालंदा जिले का महत्वपूर्ण हिलसा विधानसभा सीट कभी किसी खास दल की जागीर नहीं रही। हालांकि, यहां के लिए एक खास बात रही है कि अबतक हुए चुनाव में यादव एवं कुर्मी जाति के ही प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। 1957 में हिलसा विधानसभा का गठन के बाद हुए चुनावों में कभी कांग्रेस तो कभी जनसंघ के प्रत्याशी जीत दर्ज करते रहे। लेकिन, 1990 के चुनाव से यहां कांग्रेस पार्टी पटल से गायब ही हो गई। इससे पहले के आठ चुनावों में पार्टी को चार बार जीत हासिल हुई। 1962 में जनसंघ के टिकट पर जीत दर्ज करनेवाले जगदीश प्रसाद चार बार हिलसा के विधायक बने, जो अब भी एक रिकार्ड है। वहीं, रामचरित्र प्रसाद सिंह तीन बार जीत दर्ज की है, जिसमें फरवरी 2005 एवं अक्टूबर 2005 में हुआ चुनाव शामिल है। हिलसा विधानसभा का गठन होने के वर्ष 1957 के चुनाव में कांग्रेस के लाल सिंह त्यागी ने बीजेएस के भागवत सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के लाल सिंह त्यागी को जनसंघ के प्रत्याशी जगदीश प्रसाद ने हराया था। 1967 के चुनाव में कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह ने जगदीश प्रसाद को हराया था। अकेले ही चुनाव 1969 में जगदीश प्रसाद ने अवधेश कुमार सिंह से सीट छीन ली थी। 1972 के चुनाव में कांग्रेस के नवल किशोर प्रसाद सिन्हा जगदीश प्रसाद को हराकर एक बार फिर सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी। 1977 में जगदीश प्रसाद एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी राम प्यारेलाल को हराकर यहां से जीत दर्ज की। 1980 के चुनाव में जगदीश प्रसाद विजयी हुए। इस बार उन्होंने जेनपी (एसआर) के भोला प्रसाद सिंह को हराया। 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रसाद तरुण ने निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र सिंह को हरा कर आखिरी बार यहां से कांग्रेस को जीत दिलाई। दरअसल, 1990 में मंडल और कमंडल के दौर में गठबंधन की राजनीति शुरू हुई और वहीं से हिलसा सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो गया और पार्टी लंबे समय से हाशिये पर है। 1990 के चुनाव में जेल में रहकर चुनाव लड़ने वाले इंडियन पीपुल्स फ्रंट के कृष्ण देव सिंह यादव जीत दर्ज की। उन्होंने जनता दल के गोपाल प्रसाद को हराया था। 1995 के चुनाव में जनता दल के बैजू प्रसाद ने समता पार्टी के राम नरेश सिंह को पराजित कर दिया था। वर्ष 2000 में समता पार्टी से रामचरित्र प्रसाद सिंह विजयी हुए थे। उन्होंने आरजेडी के बैजू प्रसाद को हराया था। वर्ष 2005 के फरवरी माह में हुए चुनाव में जदयू के प्रत्याशी रामचरित्र प्रसाद सिंह लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी । उन्होंने आरजेडी के राजेश कुमार सिंह को हराया था। वर्ष 2005 के अक्टूबर माह में हुए चुनाव में जदयू के रामचरित्र प्रसाद सिंह ने आरजेडी से एलजेपी में आए राजेश कुमार सिंह को पुन: पराजित कर दिया था। 2010 में जदयू ने यहां से उषा सिन्हा को प्रत्याशी बनाया। जदयू ने यहां लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। जदयू की उषा सिन्हा ने एलजेपी की प्रत्याशी रीना देवी को पराजित की थी। वर्ष 2015 के चुनाव में बने महागठबंधन के तहत हिलसा सीट आरजेडी के खाते में चली गई। आरजेडी प्रत्याशी अत्रि मुनि और शक्ति सिंह यादव ने एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी एलजेपी की दीपिका कुमारी को काफी वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। ------------------------

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चार बार विधायक रहे जगदीश प्रसाद

    सबसे ज्यादा चार बार विधायक रहे जगदीश प्रसाद हिलसा सीट पर पार्टियों के प्रदर्शन के आंकड़े दिलचस्प हैं। 1957 के चुनाव में कांग्रेस तो 1962 के चुनाव में बीजेएस जीती। 1967 फिर कांग्रेस तो 1969 में पुन: बीजेएस। 1972 में पुन: कांग्रेस की वापसी तो 1977 में जनता पार्टी । आखरी बार 1980 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले जगदीश प्रसाद यहां से चार बार विधायक बने। 1962, 1969,1977 एवं 1980 में जीत दर्ज कर हिलसा का प्रतिनिधित्व किया। जो यहां के लिए अबतक का रिकार्ड है। ------------------

    हिलसा सीट पर पार्टियों का प्रदर्शन पार्टी कब-कब चुनाव जीती

    कांग्रेस 1957, 1967, 1972 एवं 1985

    बीजेएस 1962, 1969

    जेएनपी 1977

    बीजेपी 1980

    आइपीएफ 1990

    जेडी 1995

    समता पार्टी 2000

    जदयू 2005 और फरवरी एवं अक्टूबर 2010 आरजेडी 2015