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    आज से पांच दिवसीय लंगोट अर्पण मेला शुरू , प्रशासनिक तैयारियां पूरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jul 2022 11:36 PM (IST)

    जागरण संवाददाता बिहारशरीफ बाबा मणिराम के अखाड़े पर लगने वाले पारंपरिक सात दिवसीय लं

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    आज से पांच दिवसीय लंगोट अर्पण मेला शुरू , प्रशासनिक तैयारियां पूरी

    जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: बाबा मणिराम के अखाड़े पर लगने वाले पारंपरिक सात दिवसीय लंगोट अर्पण मेले की शुरूआत आज बुधवार से होनी है। मेले को लेकर चारों ओर उत्साह का माहौल है।

    आषाढ़ पूर्णिमा को लगाने वाले पांच दिवसीय लंगोट अर्पण मेले की तैयारी पूरी हो चुकी है। प्रबंधन समिति की ओर से मंदिर का रंग-रोगन कराया जा चुका है। वहीं निगम भी मुकम्मल सफाई तथा पेयजल की व्यवस्था में जुटा है। विधि व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी एवं पुलिस बल की तैनाती की गई। थानाध्यक्ष को विशेष जवाबदेही दी गई है। जुलूस पर नियंत्रण के लिए एसडीओ ने अधिकारियों को खास निर्देश दिया है। जुलूस के दौरान किसी भी प्रकार के भड़काउ नारे लगाने वालों पर विशेष नजर होगी। वहीं शांति समिति के सदस्य भी पूरी मुस्तैदी के साथ लगे हैं। मेले में मिठाई तथा खिलौने की कई दुकानें भी लगाई गई है। जो आकर्षण का बड़ा केन्द्र है।

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    कैसे आरंभ हुई लंगोट चढ़ाने की परंपरा

    बिहारशरीफ के पिसत्ता घाट स्थित बाबा मणिराम की समाधि। दुनिया की शायद यह पहली समाधि है जहां लंगोट अर्पित करने की परंपरा है। इस परंपरा की शुरुआत के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहा जाता है पटना के अबकारी विभाग के अधिकारी कपिल देव प्रसाद पुत्र रत्न की चाहत में देश के हर धार्मिक स्थल में मत्था टेक चुके थे। लेकिन चाहत पूरी नहीं हुई। अंतत: बाबा की समाधि पर आकर मन्नतें मांगी। कहा जाता है उसी वर्ष उन्हें पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई। पुत्र प्राप्ति की खुशी में उन्होंने 6 जुलाई 1952 को गुरु पूर्णिमा के दिन बाबा मणिराम की समाधि पर पहला लंगोट चढ़ाया। इसके बाद से ही यहां लंगोट चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।