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    10 रुपये में जीवनदान, 38 साल से झोपड़ी में चमत्कार रच रहे 'गरीबों के मसीहा' डॉ. आर्या

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 04:05 PM (IST)

    परवलपुर में डॉ. ओम प्रकाश आर्य 38 वर्षों से गरीबों का इलाज कर रहे हैं। वे केवल 10 रुपये फीस लेते हैं और जरूरतमंदों के लिए मुफ्त इलाज करते हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर उन्होंने मानव सेवा को अपनाया। मरीजों के लिए वे भगवान के समान हैं। उनका मानना है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। वे सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और मानवता की मिसाल पेश करते हैं।

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    गरीबों के मसीहा डॉ. आर्या

    संवाद सूत्र, परवलपुर। परवलपुर प्रखंड में एक तरफ जहां महंगे अस्पताल और दवाइयों की कीमतें आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर एक डॉक्टर इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं। एनएच-33 के किनारे स्थित एक साधारण झोपड़ी में पिछले 38 वर्षों से गरीबों और जरूरतमंदों का इलाज कर रहे डॉ. ओम प्रकाश आर्य लोगों के लिए सिर्फ चिकित्सक ही नहीं, बल्कि भरोसा और उम्मीद का दूसरा नाम बन गए हैं।

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    सरकारी सेवा छोड़कर मानव सेवा को प्राथमिकता

    डॉ. आर्या ने अपने करियर की शुरुआत एक सरकारी चिकित्सक के रूप में की थी। लेकिन सरकारी सेवा के दौरान उन्होंने देखा कि गरीब मरीजों को अक्सर पैसे के अभाव में उचित इलाज नहीं मिल पाता है। इस पीड़ा ने उन्हें सरकारी नौकरी छोड़कर पूरी तरह समाज की सेवा में समर्पित होने की प्रेरणा दी। 

    उन्होंने पहले मात्र 25 पैसे में मरीजों को देखना शुरू किया और आज भी केवल 10 रुपये फीस लेते हैं। इतना ही नहीं, गरीब मरीजों के लिए इलाज पूरी तरह नि:शुल्क है। वे हमेशा ऐसी दवा लिखते हैं जो सस्ती हो और हर जगह उपलब्ध हो।

    रोजाना लगभग 300 मरीजों का इलाज

    सुबह से ही उनकी झोपड़ी क्लीनिक में मरीजों की भीड़ लग जाती है। परवलपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के कई पंचायतों और गांवों के लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। मरीजों की सुविधा के लिए वे सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक, तथा रात 9 बजे से 11 बजे तक क्लीनिक चलाते हैं। अपने आराम और परिवार से पहले वे मरीजों की जिंदगी को प्राथमिकता देते हैं। उनका मानना है कि “मरीज सबसे पहले”।

    क्लीनिक में न तो कोई चकाचौंध है और न आधुनिक सुविधाएं। फिर भी यहां के मरीज कहते हैं कि “इलाज से ज्यादा डॉक्टर की नयत असर करती है।”

    कई ऐसे मरीज हैं, जिनका कहना है कि कठिन समय में डॉक्टर साहब ने ही उन्हें सहारा दिया और जीवन में वापस खड़े होने की ताकत दी। इलाज की गुणवत्ता और डॉक्टर साहब के मानवीय व्यवहार के कारण लोग पूरी आस्था के साथ यहां आते हैं।

    सेवा को ही धर्म मानते हैं

    डॉ. आर्या का मानना है कि “मरीज मेरे लिए भगवान हैं, उनका इलाज करना ही मेरी पूजा है।” वे त्यौहार, छुट्टी या व्यक्तिगत व्यस्तता से ऊपर उठकर मरीजों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पिछले 38 वर्षों में न थकान, न मौसम और न किसी परिस्थिति ने उनकी सेवा की राह रोकी।

    सादगी भरा जीवन, बड़ा दिल

    जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद डॉ. आर्य का जीवन बेहद सादगीपूर्ण है। वे कहते हैं “खाने भर का पैसा मिल जाए काफी है… भलाई करके ही इंसान बड़ा बनता है।” जब स्वास्थ्य सेवाएं बाजारवाद और मुनाफाखोरी की होड़ में खोती हुई दिखाई देती हैं, ऐसे समय में परवलपुर की यह झोपड़ी मानवता का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभरी है। 

    डॉ. ओम प्रकाश आर्य की 38 साल की अनवरत सेवा, 10 रुपये की मामूली फीस और गरीबों के लिए नि:शुल्क उपचार यह साबित करता है कि चिकित्सा सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि मानवता का धर्म है।