मां शीतला के दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब, 50 हजार से अधिक लोगों ने टेका मत्था
शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित मघड़ा में स्थापित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग गई।

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित मघड़ा में स्थापित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग गई। भक्तों की भीड़ इस कदर थी कि लोगों को मां के दरबार तक पहुंचने में चार से पांच घंटे लग रहे थे। भीषण गर्मी की परवाह किए बिना ही भक्त पूरी आस्था के साथ डटे रहे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस पदाधिकारियों व बलों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। शुक्रवार को माता के दर्शन को बिहार के अलावे दूसरे प्रदेशों के करीब 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे । पूरा इलाका भक्तिमय रहा। मां जयकारे से पूरा वातावरण गूंजता रहा।
-------------------------------
विश्व प्रसिद्ध है मघड़ा का शीतला मंदिर शहर से पांच किलोमीटर दूर मघड़ा गांव में विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर है। जहां चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भक्त मां के दरबार आते हैं। पूजा-अर्चना से पहले तालाब में स्नान करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से चेचक से मुक्ति मिलती है। हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन मां की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा हर मंगलवार को भी मां के दरबार में भक्तों की भीड़ जुटती है। इस बार चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी शुक्रवार को पड़ा है। कारोना संक्रमण के कारण माता के दरबार में दो साल तक पूजा-अर्चना करने पर पाबंदी थी। लेकिन इस बाद संक्रमण खत्म होने के साथ ही आस्था का सैलाव उमड़ पड़ा। आज के दिन मेले का भी आयोजन किया गया जिसमें मनोरंजन के लिए कई तरह के खेल तमाशे और झूले लगाये गए हैं। जिसका लोग आनंद उठा रहे हैं।
-----------------------------
गांव में नहीं जले चूल्हे, भरपेट प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा इस बार भी गांवों के लोग गुरुवार की शाम में खाना बनाने के बाद अपने-अपने घरों की साफ-सफाई में लगे रहें। शुक्रवार अष्टमी के दिन गांव के किसी घर में चूल्हे नहीं जले। रात में बनाए गए खाने को लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। रात तक भक्तों का जमावड़ा लगा रहा।
------------------------------
स्वप्न में आई थी मां मान्यता है कि बहुत साल पहले गांव के एक ब्राह्मण को माता ने रात में स्वप्न दिया था। स्वप्न में माता ने बताया कि उनकी मूर्ति नदी के किनारे जमीन के अंदर है। उसे गांव के किसी स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। इसके बाद ब्राह्मण ने नदी के किनारे स्थित एक कुएं की खुदाई कर मां शीतला की प्रतिमा को निकाला तथा उसे गांव के तालाब के बगल में स्थापित किया। जिस कुएं से मां की प्रतिमा निकली थी, उसे मिट्ठी कुआं के नाम से जाना जाता है। आज के दिन इस कुंए को रंग-रोगन कर पूरी तरह से सजाया जाता है। माता के दरबार में पूजा-अर्चना के बाद यहां पर भी पूजा की जाती है।
--------------------------------
कभी भी नहीं सूखता मिट्ठी कुआं ग्रामीण की मानें तो मिट्ठी कुआं का पानी कभी नहीं सूखता है। कुएं का पानी भी काफी मीठा है। पुजारी बताते हैं कि जिस दिन मां की प्रतिमा कुएं से निकाली गई थी, उस दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी थी तथा अष्टमी के दिन मां की प्रतिमा की स्थापना हुई। उसी समय से मघड़ा में मेले की शुरुआत हुई, जो अबतक जारी है।
-----------------------
लाल चुनरी व बताशा चढ़ाने से खुश होती हैं मां
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि माता को लाल चुनरी के साथ बताशा, दूध-दही व तालाब का जल का भाता है। इन्हीं चीजों को माता अर्पित किया जाता है। इससे माता प्रसन्न होती हैं और लोगों को मनोवांछित फल मिलता है। ---------------
माधोपुर गढ़ पर शीतलाष्टमी मेले में खूब हुई नारियल की बिक्री संवाद सूत्र, चंडी (नालंदा): चंडी के माधोपुर गढ़पर में शीतलाष्टमी मेला में आए श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को नारियल फोड़ मां शीतला की पूजा की। मेला का समापन 28 मार्च को होगा। यहां शाम में रासलीला भी हो रही है। मनोरंजन के लिए झूले लगाए गए हैं। बच्चों के लिए खिलौने के स्टाल लगे हैं। चाट, पकौड़े एवं मिठाइयां की दुकाने सजाई गई हैं। मेले में माधोपुर, चंडी, रुखाई, नवादा, यशवंतपुर, खपड़ाहा, नगरनौसा, तुलसीगढ़, दयालपुर हनुमानगढ़, विशुनपुर, भगवानपुर, सतनाग, दस्तूर पर, जोगिया आदि अन्य कई गांवों के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। खुसरूपुर से आए अरुण हलवाई की जलेबी खूब पसंद की जा रही है। नारियल एवं सौंदर्य प्रसाधन की बिक्री के लिए मनिहारी वाले डेरा डाले हैं। पानी भरा नारियल 30 से 35 रुपए में बेचा गया। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो सालों से शीतलाष्टमी मेला नहीं लग रहा था। आयोजन समिति के अध्यक्ष स्थानीय मुखिया आत्माराम ने बताया कि गुरुवार को मां शीतला की पूजा हुई। शुक्रवार को शीतलाष्टमी मनाई गई। गांव के लोग नेमत का पालन कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।