एकंगरसराय में डिग्री कॉलेज के लिए अब भी नहीं मिल रही जमीन, युवाओं का सपना अधूरा
एकंगरसराय प्रखंड में डिग्री कॉलेज की स्थापना का मुद्दा अभी भी अधर में है, क्योंकि उपयुक्त जमीन की उपलब्धता नहीं हो पाई है। विधायक रूहेल रंजन शिक्षा वि ...और पढ़ें
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
संवाद सूत्र, एकंगरसराय। एकंगरसराय प्रखंड में डिग्री कॉलेज की स्थापना को लेकर लोगों की वर्षों पुरानी मांग अब भी अधूरी है। चुनाव के पूर्व यह मुद्दा एकंगरसरायवासियों का प्रमुख सवाल रहा।
जनता की इस गंभीर मांग को प्राथमिकता देते हुए विधायक रूहेल रंजन ने चुनाव जीतने के बाद राज्य स्तर पर शिक्षा विभाग सहित अन्य संबंधित लोगों से लगातार संपर्क साधा। प्रयासों का असर यह हुआ कि सरकार की ओर से डिग्री कॉलेज स्थापना को लेकर सकारात्मक संकेत मिले, लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण पूरी प्रक्रिया फिलहाल अटक गई है।
विधायक रूहेल रंजन ने बताया कि डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए शहरी क्षेत्र में कम से कम 2.5 एकड़ तथा ग्रामीण क्षेत्र में 5 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। अब तक उपयुक्त एवं उपलब्ध जमीन की पहचान नहीं हो पाई है, जिस कारण कॉलेज का प्रस्ताव विधिवत रूप से भेजा नहीं जा सका है।
उन्होंने हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी एवं एकंगरसराय के अंचलाधिकारी से इस दिशा में तेजी से पहल कर जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।
जमीन खोजने की प्रक्रिया तेज
इस संबंध में एकंगरसराय के अंचलाधिकारी विवेक कुमार सिंह ने बताया कि डिग्री कॉलेज के लिए उपयुक्त जमीन खोजने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। विभिन्न राजस्वकर्मियों को आवश्यक दिशा–निर्देश जारी किए गए हैं। संभावित स्थानों की पहचान की जा रही है और शीघ्र ही इस दिशा में ठोस प्रगति की उम्मीद है।
एकंगरसराय में डिग्री कॉलेज की स्थापना होती है, तो क्षेत्र के हजारों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलने से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को बड़ी राहत मिलेगी।
अभिभावकों पर आर्थिक बोझ घटेगा, समय बचेगा और शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय सुधार होगा। कॉलेज के निर्माण से स्थानीय व्यवसाय, पुस्तकालय, स्टेशनरी, कोचिंग तथा परिवहन व्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा के बेहतर माहौल से युवाओं का भविष्य संवरने के साथ-साथ क्षेत्र का शैक्षणिक विकास भी नई दिशा पाएगा।
डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण छात्रों को नालंदा, बिहार शरीफ, हिलसा, पटना सहित दूर-दराज के शहरों का रुख करना पड़ रहा है। रोजाना लंबी दूरी तय करना, किराया खर्च, समय की बर्बादी और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बड़ी समस्या बन चुकी हैं।
खासकर छात्राओं को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूसरे शहर आना-जाना उनके लिए परिवहन की सुरक्षित सुविधा, परिवारिक अनुमति, सामाजिक दबाव और राह में संभावित असुविधाओं जैसी कई चुनौतियों से जुड़ा होता है। कई छात्राएं सिर्फ इसी कारण उच्च शिक्षा जारी नहीं रख पातीं और पढ़ाई बीच में छोड़ देती हैं।

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