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    राजगीर के दुर्लभ जरासंध अखाड़े का केंद्र सरकार करे विकास : सांसद

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 09 Dec 2021 12:15 AM (IST)

    राजगीर। सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जरासंध अखाड़ा का मामला उठाया। उन्होंने इसके जीर्णोद्धार की मांग की है।

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    राजगीर के दुर्लभ जरासंध अखाड़े का केंद्र सरकार करे विकास : सांसद

    राजगीर। सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जरासंध अखाड़ा का मामला उठाते हुए कहा कि नालंदा स्थित राजगीर भारतीय इतिहास का गौरव है। आज के युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए यह एक अजूबा स्थान है। राजगीर और नालंदा के सभी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थलों में एक जरासंध का अखाड़ा अपना अलग ही पहचान और स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि राजगीर में कुश्ती का इतिहास बहुत पुराना है। द्वापरकाल से यहां इसका इतिहास मिलता है। मगध सम्राट इसी जरासंध अखाड़ा में खुद दांव अजमाते थे। इसी अखाड़े में मगध सम्राट समेत एक से बढ़कर अनेक योद्धाओं ने दांव अजमाया है। द्वापरकाल में महाभारत शुरु होने से पहले जरासंध और कुन्ती पुत्र भीम के बीच 28 दिनों तक मल-युद्ध हुआ था। इसकी चर्चा धर्म-ग्रथों में भी मिलता है। अखाड़े की कहानी भी काफी रोचक है। इस अखाड़े को उन दिनों दूध से पटाया जाता था। जिससे इसकी मिट्टी आज भी भूरभूरी है। मकर संक्रांति और राजगीर महोत्सव के मौके पर हर साल कुश्ती का आयोजन इस अखाड़े में होता चला आ रहा है और इसमें कई राज्यों के पहलवान अपना दांव लगाने के लिए आते हैं। यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया के दुर्लभ अखाड़ों में से एक है। श्री कुमार ने कहा कि देश-विदेश के सैलानियों के लिए यह स्थल कौतुहल से परिपूर्ण है। वे इसकी गौरवगाथा जानकर खुश होते हैं और द्वापरकाल से रूबरू होते हैं। किन्तु दुर्भाग्य और खेद के साथ कहना चाहता हूं कि इस अखाड़े की वर्तमान स्थिति काफी दयनीय है। यह एक टीला मात्र रह गया है। हमारी धरोहर और गौरवशाली इतिहास की उपेक्षा एएसआई द्वारा की जा रही है। एएसआई को ऐसे गौरवमयी धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव की जिम्मेदारी समझनी होगी। सांसद ने गौरवशाली जरासंध अखाड़े की व्यथा व दुर्दशा और इसके महत्व को देखते हुए केन्द्र सरकार से इसके विकास के कार्यक्रम को जल्द से जल्द राज्य सरकार के सहयोग से तैयार करने की मांग की है।

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