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    बिहार में कर्ज से दबे एक ही परिवार के 5 लोगों ने खाया जहर, 4 की मौत

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 10:24 AM (IST)

    गिरियक के पूरी गांव में एक दुखद घटना घटी जहां एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने ज़हर खा लिया। इनमें से दो बच्चियों दीपा और अरिका की अस्पताल में मृत्यु हो गई जबकि धर्मेंद्र कुमार उनकी पत्नी सोनी कुमारी और पुत्र शिवम का इलाज चल रहा है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया।

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    बिहार में एक ही परिवार के 5 लोगों ने खाया जहर, 2 की मौत और 3 की हालत नाजुक

    जागरण संवाददाता, पावापुरी। सूदखोरों के जाल में फंसकर पावापुरी में किराए के मकान में रह रहे एक खुशहाल परिवार की चार जिंदगियां बर्बाद हो गईं। सहायक थाना पावापुरी क्षेत्र के पावापुरी जल मंदिर के पास शुक्रवार को कर्ज के बोझ तले दबे एक परिवार के मुखिया ने पत्नी व बच्चों के साथ आत्महत्या करने की कोशिश की।

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    उन्हें इलाज के लिए भगवान महावीर मेडिकल इंस्टीट्यूट पावापुरी अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुक्रवार की देर शाम तक अस्पताल में इलाजरत धर्मेंद्र कुमार की दो बेटियों एरिका कुमारी व दीपा कुमारी की मौत हो गई, जबकि देर रात डॉक्टरों ने उनकी 38 वर्षीय पत्नी सोनी देवी व 16 वर्षीय बेटे शिवम कुमार की मौत की पुष्टि की।

    शेखपुरा जिले के पुरनकामा गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार पिछले दो साल से पावापुरी में किराए के मकान में रह रहे थे। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने ब्याज पर पैसा ले रखा था। पहले धर्मेंद्र राजमिस्त्री का भी काम करते थे। लेकिन कारोबार में घाटा और सूदखोरों की गाली-गलौज व मारपीट से वह आहत थे।

    अस्पताल में इलाज करा रही धर्मेंद्र कुमार की मां कुसुम देवी ने बताया कि परिवार पर करीब पांच लाख रुपये का कर्ज था। उन्होंने बताया कि वे लोग अपने घर की छत पर थे। तीन-चार दिनों से कुछ लोग सुबह-शाम घर पर आकर गाली-गलौज कर रहे थे और पैसा नहीं देने पर मारपीट करने की धमकी दे रहे थे।

    इन सूदखोरों से परेशान होकर धर्मेंद्र कुमार ने खौफनाक कदम उठाया और दोपहर में पूरे परिवार के साथ पावा गांव से पुरी गांव जाने वाली सड़क पर काली मंदिर के पास खेत में जाकर जहर खा लिया। हालांकि, सबसे छोटे बेटे सत्यम ने जहर नहीं खाया और उसे जेब में रख लिया।

    इधर, जहर खाने के बाद धर्मेंद्र कुमार की बेटी दीपा कुमारी ने पावापुरी मोड़ स्थित एक कोचिंग संचालक को फोन कर बताया कि उसने पूरे परिवार के साथ जहर खा लिया है। दीपक कुमारी उसके साथ कोचिंग में पढ़ती थी। जैसे ही कोचिंग संचालक को इसकी जानकारी मिली, वह 10 से 20 छात्रों को लेकर काली मंदिर पहुंचा और सभी को ई-रिक्शा में लादकर भगवान महावीर मेडिकल संस्थान अस्पताल ले गया।

    उधर, घटना की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में लोग तरह-तरह की चर्चा करने लगे। सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल पहुँच गए। घटना की सूचना मिलते ही राजगीर डीएसपी सुनील कुमार, इंस्पेक्टर मनीष भारद्वाज और गिरियक थाना प्रभारी दीपक कुमार पावापुरी थाना प्रभारी मौके पर पहुँचे और पूरे मामले की जाँच शुरू कर दी।

    मौत से पहले सोनी देवी लगातार सूदखोरों और साहूकारों का नाम बता रही थी।

    शाम को जब मृतक सोनी कुमारी को पावापुरी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वह दर्द से कराह रही थी। अस्पताल कर्मियों ने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया, फिर उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया जहां सोनी कुमारी पुलिस के सामने लगातार शिकारपुर गाँव के दो लोगों का नाम बता रही थी।

    वह बता रही थी कि पिछले तीन-चार दिनों से कुछ लोग पैसे के लिए उसके घर आ रहे हैं और उसके साथ गाली-गलौज और मारपीट कर रहे हैं।

    ये साहूकार खेतों पर रखते हैं नजर 

    गाँव में अब भी ज़्यादातर लोग कागज़ात के चक्कर में बैंक जाकर कर्ज़ लेना पसंद नहीं करते। वो गाँव के ही किसी साहूकार के जाल में फंसकर 10 से 12% ब्याज पर पैसे ले लेते हैं। कोई इन कर्ज़ों से उद्यमी बनने का सपना देख रहा है, कोई अपने घाटे की भरपाई में लगा है, तो कोई अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा रहा है।

    ऐसा नहीं है कि ये लोग कर्ज़ नहीं चुका रहे थे, बल्कि लोगों ने कर्ज़ पर कई गुना ज़्यादा ब्याज चुकाया है। लेकिन पता नहीं ये साहूकार कैसा हिसाब-किताब लगाते हैं कि एक बार कर्ज़ लेने वाला पाई-पाई बेचकर भी ली गई मूल रकम नहीं लौटा पाता। क्योंकि इन साहूकारों की नजर उनके खेतों पर होती है।

    धीरे-धीरे साहूकार उनकी ज़मीन भी अपने नाम करवा लेते हैं। शहर से लेकर गांव तक यही हाल है। हालांकि, पूरे प्रदेश में सूदखोरी पर रोक है, शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई भी करती है, लेकिन सूदखोरी के इस धंधे में कर्ज़ लेने वाले भी खामोश रहते हैं। यही वजह है कि ये धंधा हर जगह फल-फूल रहा है।

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