नदियों की बेग को नालंदा में रोकेंगे 15 चेकडैम
नालंदा। घटते जलस्तर व सूखे से संघर्ष में नालंदा का प्रोजेक्ट जल संचय संजीवनी साबित होगी। यह पि
नालंदा। घटते जलस्तर व सूखे से संघर्ष में नालंदा का प्रोजेक्ट जल संचय संजीवनी साबित होगी। यह परियोजना नालंदा में ¨सचाई व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक साबित होगा, वहीं तकनीक और प्रकृति के आपसी सामंजस्य के अभिनव प्रयोग की कसौटी में खरा उतरने पर राज्य के कई हिस्सों में रोल मॉडल के रूप में अपनाई जाएगी। यह जानकारी विश्व जल संरक्षण दिवस के मौके पर सोमवार को डीडीसी कुंदन कुमार ने पत्रकार गोष्ठी में दी। उन्होंने बताया कि नालंदा में सभी नदियों की बाढ़ के बेग को रोकने के लिए 15 चेकडैम बनाए जाने की योजना है। जिसमें 13 चेकडैम का लेआउट भी तैयार हो गया है। डीडीसी ने बताया कि जिले में कुल 537 पैन बनाए जाएंगे। नालंदा में बन रहे इन पैन की कुल लंबाई तकरीबन 417 किमी है। उन्होंने बताया कि इन पैन से कुल 525 लाख सीएफटी मिट्टी निकाली गई है। उन्होंने बताया कि इस पैन में तकरीबन 15 लाख लीटर पानी स्टोरेज की क्षमता होगी। जून माह तक जल संचयन के इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा।
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कहां से आया आइडिया
नालंदा बाढ़ ग्रस्त इलाका है। पिछले साल ही अक्टूबर में यहां भंयकर बाढ़ आया था। इस वजह से पूरा इलाका पानी-पानी हो गया था। लेकिन आज स्थिति यह है कि जिले की सभी तालाब, पोखर, नदियां, पैन, चेकडैक सूखे पड़े हैं। जलस्तर तेजी से गिर रहा है। ऐसे में प्रशासन के लिए यह सिरदर्द था। बाढ़ के पानी आए, और बह गए। इसका कहीं पर संचयन नहीं किया गया। तभी बात आई कि इन जल को जगह-जगह रोक लिया जाए, तो पानी की बड़ी समस्या से निजात मिल जाएगी। डीडीसी कुंदन के नेतृत्व में इंजीनियरों की टीम ने इस योजना पर काम शुरू कर दी गई है। योजना बनीं क्यूं न जगह-जगह नदियों में चेकडैम एवं पैन का निर्माण कर पानी को रोक दिया जाए। लंबी प्रयास अब नालंदा जिले की धरातल पर दिखना शुरू हो गया है। रहुई में सबसे बड़ा चेकडैक का निर्माण किया जाएगा। यदि ससमय योजना के अनुरूप काम हुआ, तो अगले वर्ष से नालंदा में पानी की समस्या से लोगों को काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
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तालाब व पोखर कराए जाएंगे अतिक्रमण मुक्तजिले में जल संचय योजना को धरातल पर लाने के लिए पारंपरिक जलस्त्रोत को सु²ढ़ करना होगा। डीडीसी ने बताया कि जिले में तालाब व पोखर को भी अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। ताकि गांव एवं घरों के पास पानी का जलस्त्रोत बना रहे। साथ ही जलस्तर में गिरावट नहीं आए। उन्होंने कहा जल संचय के लिए पारंपरिक चीजों का ही सहारा लेना होगा।
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प्रखंडों में बन रहे चेक डैम व उनकी गहराई
बिहारशरीफ के नकटपुरा : 20 फीट
अस्थावा के ओंदा : 30 फीट
नूरसराय के जगदीशपुर तियारी : 50 फीट
¨बद के जमसराय में : 25 फीट
हरनौत के गोनावां में : 50 फीट
राजगीर के गरौर में : 15 फीट
गिरियक के घोसरावां में : 20 फीट
पावापुरी के पिलखी में : 20 फीट
नगरनौसा के कछियावां में : 20 फीट
करायपरसुराय बेरथू में : 30 फीट
एकंगरसराय के मंडाक्ष में : 20 फीट
इसलामपुर के मोहनचक : 25 फीट
थरथरी के जैतीपुर में : 30 फीट
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फोटो- 7
बोले डीडीसी
सबसे ज्यादा फायदा बाढ़ के दिनों में मिलेगा। कुल 15 चेकडैम पंचाने नदी के अलावा अन्य नदियों के बेग को रोकने में सहायक साबित होगा। जिससे जानमाल एवं फसलों की क्षति काफी हद तक रोकी जा सकेगी।
जल संचयन से सबसे बड़ा फायदा जल स्तर को मिलेगा। शहरी एवं ग्रामीण इलाकों
में गर्मी के दिनों में जलस्तर नीचे नहीं भागेगा। साथ ही गर्मी के दिनों में भी ¨सचाई के लिए हर जगह जल उपलब्ध होगा। जिससे खाद्य संकट से निपटने में आसानी होगी। इसके अलावा गर्मी में जानवरों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
कुंदन कुमार, डीडीसी, नालंदा
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