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    नाम बड़े व दर्शन छोटे की कहावत चरितार्थ कर रहा अस्थावां रेफरल अस्पताल

    बिहारशरीफ। अस्थावां रेफरल अस्पताल की क्षमता 30 बेड की है। मरीजों की देखरेख के लिए प्रभारी सहित 8 डॉक्टर 2 सीनियर नर्स व चार सामान्य नर्सों की व्यवस्था है। आबादी के मुताबिक यहां आधा दर्जन डॉक्टर व नर्स की जरूरत है। यह अस्पताल मरीजों के लिए तो सुविधाजनक है परन्तु डॉक्टरों व कर्मियों के लिए यहां टिकना मुश्किल है।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2021 12:03 AM (IST)
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    नाम बड़े व दर्शन छोटे की कहावत चरितार्थ कर रहा अस्थावां रेफरल अस्पताल

    बिहारशरीफ। अस्थावां रेफरल अस्पताल की क्षमता 30 बेड की है। मरीजों की देखरेख के लिए प्रभारी सहित 8 डॉक्टर 2 सीनियर नर्स व चार सामान्य नर्सों की व्यवस्था है। आबादी के मुताबिक यहां आधा दर्जन डॉक्टर व नर्स की जरूरत है। यह अस्पताल मरीजों के लिए तो सुविधाजनक है परन्तु डॉक्टरों व कर्मियों के लिए यहां टिकना मुश्किल है। यही वजह है कि डॉक्टर व अन्य कर्मी इधर-उधर किराए के घरों में रहते हैं। अस्पताल का मेन गेट व बाउंड्री तक नहीं। परिसर की साफ-सफाई भी नियमित नहीं होती। कुल मिलाकर अस्पताल का लुक ऐसा है कि कई मरीज और उनके स्वजन घुसने के पहले ही किनारा कर लेते हैं।

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    प्रसव के लिए आदर्श है रेफरल अस्पताल

    अस्थावां रेफरल अस्पताल प्रसव के लिए आदर्श है। पैथोलॉजिकल जांच की सुविधा उपलब्ध है। भर्ती मरीजों को तीनों वक्त नाश्ता-खाने की सुविधा, साफ-सुथरा प्रसव कक्ष ,अत्याधुनिक शल्य कक्ष, दवाइयां निशुल्क उपलब्ध है। अस्पताल में 24 घंटे बिजली की सुविधा है। आपातकाल के लिए जेनरेटर भी उपलब्ध है। एम्बुलेंस सेवा 24 घंटे उपलब्ध है। शुद्ध पेयजल, टॉयलेट,लॉन्ड्री की सुविधा भी मरीजों को दी जाती है।

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    मूलभूत आवश्यकताओं की कमी

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    ब्लॉक मैनेजर केयर इंडिया नवीन सिन्हा ने बताया कि अस्पताल मरीजों को तो सुविधाएं दे रही है लेकिन अपनी मूलभूत जरूरतों को तरस रही है। स्टाफ क्वार्टर एवं डॉक्टरों का क्वार्टर की स्थिति काफी दयनीय है। जिसके कारण लोग ठहरना पसंद नहीं करते। खासकर महिला कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज अस्पताल अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। बाउंड्री वॉल टूटा हुआ है, सफाईकर्मी की कमी के कारण कचरे का समुचित निष्पादन नहीं हो पा रहा है। पब्लिक टॉयलेट नहीं है, गेट नहीं है, एक्सरे मशीन नहीं है,अल्ट्रासाउंड उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण मरीजों को परेशानी होती है।

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    19 पंचायतों के अस्पताल के पास एकमात्र अस्पताल

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    19 पंचायत एवं आपातकाल स्थिति से निपटने के लिए मात्र एक एम्बुलेंस है।एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाने के साथ उपरोक्त कार्यों को पूरा कर दिया जाए तो स्वास्थ के क्षेत्र में इस रेफरल अस्पताल का योगदान कई गुना बढ़ जाएगा।

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    नार्मल डिलीवरी से खुश हैं पूनम

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    अमावां गांव की पूनम देवी बताती है कि 9 महीने अस्पताल के संपर्क में रही। अस्पताल से उन्हें नियमित परामर्श एवं दवाई मिलती रही है। बच्चे का नॉर्मल डिलीवरी सरकारी अस्पताल के कारण ही संभव हो सका है। पूनम की मां ने अपने नाती को गोद में लिए हुए कहा कि अस्पताल कर्मियों के उचित देखभाल के कारण ही बेटी और नाती दोनों स्वस्थ हैं।

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    सुबह में ही नूतन का सुरक्षित हुआ प्रसव

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    दुल्लाबीघा निवासी सत्येन्द्र कुमार की पत्नी नूतन देवी को भी मंगलवार की सुबह 10 बजे डिलीवरी हुई है। जच्चा व बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में नाश्ते एवं भोजन की उचित व्यवस्था है। किसी कर्मी ने प्रसव कराने के लिए कोई राशि की मांग नहीं की है।

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    हर माह 250 से 300 प्रसव पर कैल्शियम की गोली नहीं

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    वार्ड की इंचार्ज गीता ने बताया कि प्रसूता को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। प्रसव के बाद डीबीटी के माध्यम से लाभुकों के खाते में प्रोत्साहन राशि एक सप्ताह के अंदर ही अंतरित कर दी जाती है।कैल्शियम की गोली अभी उपलब्ध नहीं है। जिला में ही स्टोर में नहीं है। महीने में 250 से 300 शिशुओं का यहां जन्म होता है। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ज्योति जायसवाल ने कहा कि मरीजों के लिए यहां 24 घंटे डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं।

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    खासियत है दंत रोग की चिकित्सा

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    अमूमन सरकारी अस्पताल में दांत रोग विशेषज्ञ नहीं होते परन्तु अस्थावां रेफरल अस्पताल में दंत रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। इस कारण यहां दांतों से संबंधित रोग का पूरी तरह निराकरण होता है।कमजोर नवजात शिशुओं का लगातार टेलीफोनिक फॉलो अप किया जाता है। आकस्मिक सेवा दिन-रात है। आशा ट्रेनिग, परिवार नियोजन की सुविधा, केयर इंडिया की ओर से परिवार नियोजन के लिए हर माह के प्रत्येक सप्ताह के बुधवार व शुक्रवार को प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। टीबी, कुष्ठ रोग, पोलियो इन सब के लिए नियमित कार्यक्रम चलाए जाते हैं। प्रत्येक माह के अंतिम बुधवार को दिव्यांग के लिए शिविर लगाकर उनकी समस्याओं को दूर किया जाता है।

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    26 एसएचसी हैं अधीन

    मालूम हो कि अस्थावां रेफरल अस्पताल के अधीन तीन एपीएससी व 26 एसएचसी कार्यरत हैं। कुल 49 नर्स एवं 154 आशा दीदी हैं। आशा के 10 पद अभी खाली हैं।