कौन थे सूफी संत मखदुमे जहां
बिहारशरीफ, निज प्रतिनिधि : सूफीवाद व इस्लामी इतिहास के सशक्त हस्ताक्षर हजरत मखदुमे जहां शेख शरफुद्दीन अहमद यहया मनेरी के बारे में जितना लिखी जाये कम है। मखदुमे जहां का जन्म 1263 ई. में पटना जिले के मनेरशरीफ में हुआ। इनके पिता का नाम हजरत मखदुम कमालुद्दीन यहया मनेरी था, वे भी सूफी संत थे। मां का नाम बीबी रजिया था। मखदुमे जहां ने अपनी मौलिक शिक्षा प्राप्त कर राजगीर और बिहिया के जंगलों में घोर तपस्या की तथा बिहारशरीफ के खानकाह मोहल्ले में 50 वर्षो तक रहे। इनके पूर्वजों का वंशीय ताल्लुक ईरान की पूर्व राजधानी हमदान से रही। मखदुमे जहां को ईरान में लोग पर्सियन के दूसरे सबसे बड़े साहित्यकार के रूप में जानते हैं। यही कारण है कि इनके साहित्य पर आधारित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में मंगलवार को ईरान से लायी गयी एक पेज की कुरान व 500 प्रकार से लिखी बिस्मिल्लाह प्रदर्शित की गयी, जो मखदुमे जहां का ईरान के साथ लगाव व प्रेम दर्शाता है। मखदुमे जहां की कही गयी बातें आज से 700 वर्ष पूर्व फिजिक्स की थ्योरी बनी। उनका संदेश परेशान हाल दुनिया को आज भी अमन, संस्कृति व परंपरा के प्रति लगाव महसूस कराता है। मखदुमे जहां ऐसी शख्सियत थे, जिनकी बातें आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
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