नालंदा में वियतनामी बौद्ध भिक्षुओं का समागम, महाविहार स्थापना दिवस पर होगा भव्य आयोजन
नालंदा महाविहार के स्थापना दिवस पर वियतनाम से 125 बौद्ध भिक्षु भाग लेंगे। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बौद्ध धर्म से जुड़े प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। यह आयोजन भारत और वियतनाम के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा और आपसी समझ को बढ़ावा देगा।

बौद्ध भिक्षु। फाइल फोटो
संवाद सूत्र, नालंदा। नव नालंदा महाविहार (सम विश्वविद्यालय), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार अपना 75 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मना रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर की गरिमा बढ़ाने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्री एवं नव नालंदा महाविहार के कुलाधिपति गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में पधार रहे हैं।
इस विशेष समारोह में वियतनाम बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष एवं वियतनाम बौद्ध अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष परम पावन थिक गियाक त्वन तथा वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के स्थायी उप-रेक्टर भिक्षु डा. थिक न्हात तू के नेतृत्व में 125 बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों का प्रतिनिधि मंडल भी शामिल होगा, जो इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान करेगा।
समारोह के प्रमुख आकर्षणों में पूजनीय थिक मिन्ह चाऊ सभागार का शिलान्यास शामिल है, जिसे संस्कृति मंत्री, परम पावन थिक गियाक त्वन तथा भिक्षु डॉ. थिक न्हात तू संयुक्त रूप से करेंगे। इसके साथ ही नए परिसर में संकाय भवन एवं 200-बेड छात्रावास का शिलान्यास भी माननीय मंत्री द्वारा किया जाएगा।
संस्कृति मंत्री श्वान्ज़ांग स्मारक भवन एवं विपस्सना केन्द्र का अवलोकन करेंगे। तथा सांस्कृतिक परिसर में विकसित टिकट काउंटर एवं पर्यटक प्रतीक्षालय का उद्घाटन भी करेंगे। शाम के समय आयोजित होने वाला नालंदा महोत्सव विशेष आकर्षण रहेगा, जिसमें “अनहद नाद” संस्था द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
यह प्रस्तुति नालंदा की प्राचीन विरासत और आधुनिक रचनात्मकता का अनूठा संगम पेश करेगी। स्थापना दिवस अवसर पर महाविहार के मेधावी छात्र-छात्राओं को मेरिट प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे तथा खेल, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिता आदि के विजेताओं को पदक एवं सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।
कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि माननीय संस्कृति मंत्री, जो महाविहार के कुलाधिपति भी हैं, पहली बार व्यक्तिगत रूप से कार्यक्रम में भाग लेने आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में उनके मार्गदर्शन में अधोसंरचना विकास, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शैक्षणिक उत्कृष्टता और शोध गतिविधियों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। यह 75 वां स्थापना दिवस न केवल महाविहार की ऐतिहासिक यात्रा का उत्सव है, बल्कि नालंदा की बौद्धिक और सांस्कृतिक परंपरा के वैश्विक विस्तार का भी प्रतीक है।

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