जहां गांधीजी ने किया मुजफ्फरपुर प्रवास वहां गांधी संग्रहालय की फाइल तीन साल से अटकी
Bihar News चंपारण सत्याग्रह के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे गांधीजी ने गयाबाबू के आवास पर किया था प्रवास। मूल भवन के आधार पर ही तैयार होनी है संग्रहालय की रूपरेखा अभी तक शुरू नहीं हुई निर्माण प्रक्रिया। तीन साल से लटकी गांधी संग्रहालय बनाने की फाइल।

मुजफ्फरपुर,{अंकित कुमार}। चंपारण सत्याग्रह के दौरान 10 अप्रैल, 1917 की रात मुजफ्फरपुर पहुंचे गांधीजी ने अधिवक्ता गया प्रसाद सिंह के रमना स्थित आवास पर प्रवास किया था। वे 11 से 15 अप्रैल तक यहां ठहरे थे। गांधीजी जिस मकान में रुके थे, उसे संग्रहालय के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन उसकी प्रक्रिया तीन साल से लटकी है। प्रशासनिक स्तर पर काफी प्रयास के बाद राज्य सरकार को यह जमीन हस्तगत हुई। अब सरकारी विभागों की सुस्ती के चलते काम शुरू नहीं हो सका है।
विभागों की लापरवाह कार्यशैली से शुरू नहीं हुई प्रक्रिया
गयाबाबू के पौत्र डा.(प्रो.) विधुशेखर सिंह बताते हैं कि सात मार्च, 2019 को ही कला एवं संस्कृति विभाग के नाम से जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई थी। इसके छह महीने बाद नगर निगम ने एनओसी दे दिया। अब उसकी फाइल एक से दूसरे विभाग के बीच चक्कर काट रही है। गांधीजी जैसे महान लोगों की यादों को संजोने में सरकारी विभागों की ओर से हीलाहवाली लापरवाह कार्यशैली को दर्शाती है। यह स्पष्ट है कि गांधीजी और उनसे जुड़े स्थलों के विकास में उनकी रुचि नहीं है।
भवन, कुआं और परिसर का होना है विकास
प्रो. विदुशेखर बताते हैं कि जिस मकान में गांधीजी ठहरे थे, उसी मूल भवन के आधार पर ही संग्रहालय का निर्माण किया जाना है। इसे तीन मंजिला बनाने की योजना है। इसमें कार्यालय, पुस्तकालय और गांधीजी से जुड़े वृत्तचित्र को संजोकर रखना है। भवन के कैंपस में स्थित कुएं का जीर्णोद्धार कर सुंदरीकरण किया जाना है। साथ ही, उस पत्थर को भी सहेजना है, जहां बैठकर गांधीजी प्रार्थना करते थे।
2017 में मना था चंपारण यात्रा का शताब्दी समारोह
11 अप्रैल, 2017 में गांधीजी की चंपारण यात्रा का शताब्दी समारोह मनाया गया था। मुजफ्फरपुर से लेकर चंपारण तक बड़े स्तर पर कार्यक्रम हुआ था। सरकार ने उसी समय गया प्रसाद सिंह के आवास को गांधी संग्रहालय के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। जून, 2017 में मुख्यमंत्री कार्यालय से गयाबाबू के पौत्र इंदुशेखर सिंह और प्रो. विदुशेखर को पटना बुलाया गया था। सभी बिंदुओं पर बात और सहमति के बाद कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के नाम जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई। कुछ दिनों तक मामला बिहार राज्य भवन निर्माण निगम की ओर से एनओसी जारी करने के नाम पर अटका रहा। एनओसी मिलने के बाद अब दोनों विभागों में तालमेल की कमी से निर्माण प्रक्रिया लटकी है। इस बीच डीएम कार्यालय से दो बार पत्राचार भी किया जा चुका है, लेकिन कोई पहल नहीं की गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।