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    'पैसे कैसे वापस मिलेंगे', रेलवे में फर्जी भर्ती के शिकार जांचकर्ता से लगा रहे गुहार

    By Gopal Tiwari Edited By: Ajit kumar
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 11:52 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर में रेलवे में फर्जी भर्ती के शिकार हुए लोग मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पीड़ितों ने दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद जांचकर्ताओं और वकीलों से संपर्क किया है कि उनका पैसा कैसे वापस मिल सकता है। पुलिस का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद ही कुछ हो सकता है। इस मामले में कई लोगों के खाते फ्रीज किए गए हैं।

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    रेल एसपी वीणा कुमारी ने कहा, न्यायालय के आदेश पर ही लिया जा सकता निर्णय। प्रतीकात्मक फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar News: रेलवे में फर्जी भर्ती के शिकार हुए पीड़ितों ने मुआवजा की मांग उठा दी है। दैनिक जागरण में रविवार के अंक में रेलवे में फर्जी भर्ती के तार कौशांबी से भी जुड़ा, एक को ले गई पुलिस शीर्षक से खबर छपने के बाद फर्जी भर्ती के शिकार हुए कई लोगों ने इस केस से संबंधित जांचकर्ता से लेकर कानूनी सलाह ली है कि पैसा केसे वापस मिल सकता है।

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    इसमें पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर ही किसी तरह के निर्णय की बात कही है। रेल एसपी वीणा कुमारी के अनुसार पीड़ित को कोर्ट के आदेश पर ही राशि मिल सकती है। विदित हो कि रेलवे में फर्जी भर्ती कांड के आरोपित जेल भेजे गए हैं, उन सबों का विभिन्न नाम से चल रहे खाता के साथ उन लोगों का पर्सनल अकाउंट भी फ्रीज किया गया है।

    गुजरात में चैंपियन साफ्टवेयर टेक्नोलाजी कंपनी 2000 करोड़ का टर्नाअेवर है। उसमें दीपक तिवारी व उसके जलसाजों के द्वारा ठगी के शिकार लोगों का करीब 54 लाख रुपये है, जिसे सोनपुर पुलिस द्वारा गुजरात जाकर फ्रीज करा दिया है।

    पीड़ित अवनीश ने बताया कि उसी कंपनी में पैसा जमा कराया था, उसकी रसीद भी है। जालसाज बोला था कि पैसा जमा करके रसीद का फोटो मोबाइल पर भेज देना। उसने यह भी कहा कि उसके बातचीत के आडियो, वीडियाे के साथ उक्त कंपनी के जमा

    पैसे की पर्ची भी उसके पास है। इसके साथ मुजफ्फरपुर आइसीआइसीआइ बैंक के खाते और कोलकाता के आइसीआइसीआइ जहां से मुजफ्फरपुर आइसीआइसीआइ के ट्रेजरी आरओ अकाउंट में पैसा आता था, उसके साथ दोनों का खाता फ्रीज किया गया है।

    अखबार में खबर छपने के बाद कौशांबी जिले के अवनीश कुमार, प्रयागराज के सुनील जयसवाल, अंबेदकर नगर जिला के अरविंद कुमार, बलिया के धर्मेन्द्र निषाद ने संबंधित थाना और अधिवक्ता से बात कर पैसे वापस की गुहार लगाई है।

    बता दें कि धर्मेन्द्र निषाद का पिता यूपी पुलिस में एसआई पद पर हैं, उन्होंने अपने तथा अपने फूफेरा भाई सब मिलाकर 20 लाख से अधिक रुपये भर्ती के लिए दिए थे।

    रेलवे बोर्ड ने लिया था संज्ञान

    देश के 10 से अधिक राज्यों और पांच से अधिक रेलवे जोन व 12 से अधिक रेलमंडलों में फैले फर्जी भर्ती के जाल की जांच के दौरान छह महीना पहले रेलवे बोर्ड ने भी पूर्व मध्य रेल के उच्चाधिकारी से जानकारी मांगी थी। रेलवे बोर्ड ने काले धन को सफेद करने वाले खाते में 2500 करोड़ जमा शीर्षक से दैनिक जागरण ने 25 मार्च के अंक में खबर प्रकाशित होने के बाद संज्ञान लिया था।