पुल पर लगाई गाड़ी तो चालान, पार्किंग एरिया में दुकान...साहब आप ही बताएं गाड़ी माथा पर लेकर घूमें
Muzaffarpur News मुजफ्फरपुर के मोतीझील में पार्किंग की कमी के कारण दुकानदारों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। ओवरब्रिज बनने के बावजूद जाम की समस्या बनी हुई है और पार्किंग क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। व्यावसायिक संघ ने डीएम और नगर आयुक्त से इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मोतीझील में ओवरब्रिज बना तो शहरवासियों को लगा इससे जाम की समस्या कम हो जाएगी, मगर यह बढ़ ही गई है। अब स्थिति यह हो गई है कि घर से चार चक्का वाहन से बाजार आने वाले लोग गाड़ी की पार्किंग कहां करें यह समस्या हो गई है। पुल पर लगाने से पुलिस चालान काट दे रही।
पुल के नीचे जो पार्किंग एरिया बनाया गया था उसे घेरकर दुकानें लगा दी गईं। सरकार को टैक्स देने वाले वाहन मालिक अब पूछ रहे, साहब गाड़ी का क्या करें, माथा पर लेकर घूमें। वहीं मोतीझील एरिया में दुकानदारों की हालत भी इससे खराब हो गई है। पुल के नीचे के दुकानदार की तो किसी-किसी दिन बोहनी तक नहीं होती।
वहीं सरकार को एक रुपये का भी टैक्स नहीं देने वालों अतिक्रमणकारियों की चांदी है। अब इसे लेकर धर्मशाला मोतीझील व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष अब्दुल माजिद ने डीएम और नगर आयुक्त को आवेदन दिया है। इसमें कहा है कि दुकानदार भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं।
टेंडर पार्किंग का, लगवा रहे दुकान
व्यावसायिक संघ की ओर से यह सवाल उठाया गया है कि मोतीझील पुल के नीचे वाहनों की पार्किंग के लिए टेंडर किया गया था। अब इन जगहों को घेरकर अवैध रूप से ठेला और अन्य दुकानें लगवा दी गईं। ठेकेदार उनसे राशि की वसूली कर रहे हैं। अब कोई खरीदार बाजार आते हैं तो वह गाड़ी कहां लगाएं यह समस्या हो जाती है। पुल पर गाड़ी लगाकर परिवार के साथ मार्केटिंग के लिए जाने पर जुर्माना भरना पड़ता है। पुल के नीचे एक भी जगह नहीं जहां गाड़ी लगाई जा सके।
सरकार को सालाना करोड़ों के राजस्व की हानि
मोतीझील से लेकर कल्याणी, हरिसभा चौक, क्लब रोड से लेकर शहर के अधिकतर हिस्से में सड़क का अतिक्रमण कर ठेला और दुकान लगा दिया गया है। यह अतिक्रमणकारी जीएसटी या अन्य किसी तरह का टैक्स सरकार को नहीं देते। दूसरी ओर वैध रूप से जो दुकानें हैं, वहां स्थिति खराब है। वैध दुकानों का व्यापार प्रभावित होने से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति होती है। दूसरे ओर अतिक्रमणकारियों से राशि की वसूली की जाती है। वह राशि कहां जाती है, उसकी कोई जानकारी नहीं।
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